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ट्रैक्टर चलाने का गुर सीखकर आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं

हजारीबाग, 09 अप्रैल (हि.स.)। कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के तत्वावधान में संचालित जैस्मिन के डेमोटांड स्थित प्रशिक्षण केंद्र में बोकारो एवं धनबाद जिले की 46 ग्रामीण महिलाएं उन्नत खेती के साथ ट्रैक्टर चलाने का प्रशिक्षण भी प्राप्त कर रही हैं। इससे महिलाओं की पुरुषों पर निर्भरता समाप्त हो रही है। जेएसएलपीएस के माध्यम से चयनित महिलाओं को जैविक खेती, बिना मिट्टी के नर्सरी निर्माण, फूल की खेती, पशुपालनके तहत बत्तख पालन, मुर्गी पालन, मछली पालन से लेकर जैविक खाद बनाने का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बबीता देवी ने कहा कि उसने जैविक खेती से लेकर उन्नत खेती तक का प्रशिक्षण प्राप्त किया है और ट्रैक्टर भी चलाना सीख रही है। उसने कहा कि पांच दिनों में इतना कुछ सीखा है कि उसे विश्वास नहीं हो रहा। साथ ही कहा कि वह गांव जाकर अन्य महिलाओं को भी ट्रैक्टर चलाने का प्रशिक्षण देगी। लक्ष्मी देवी का कहना है कि अब तक वह खेत जोतने के लिए पुरुषों पर निर्भर थी। ऐसे में कई बार परेशानी होती थी लेकिन ट्रैक्टर चलाना सीखकर अब वह खेती में होने वाले नुकसान को रोक पाएगी। साथ ही समय पर खेत की जोताई कर सकेगी। कल्पना कुमारी ने कहा कि वह चूल्हा-चौका तक सीमित थी लेकिन अब उन्नत खेती के साथ ट्रैक्टर चला रही है। इससे उसमें आत्मविश्वास बढ़ा है और वह अब कोई भी काम करने में सक्षम है। प्रशिक्षक गुलशन कुमार का कहना है कि महिलाओं में ट्रैक्टर चलाने की ललक बहुत अधिक है और महिलाओं ने अच्छा प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया है। महिलाएं गांव जाकर लोगों को भी जागरूक कर सकेंगी। जैस्मिन के डिप्टी सीईओ राजेंद्र किशोर ने बताया कि पांच दिनों के प्रशिक्षण में ग्रामीण महिलाओं को अन्य कार्यों के साथ- ट्रैक्टर चलाने का भी प्रशिक्षण दिया गया ताकि वह खेती में निपुण हो सके। उन्होंने बताया कि कृषि विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों से उन लोगों का प्रशिक्षण करवाया गया ताकि प्रत्येक स्थिति में बेहतर उत्पादन पा सकें। साथ ही बताया कि अब तक तीसरे बैच का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रत्येक बार दो जिलों के महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाता है। हिन्दुस्थान समाचार/ शाद्वल/चंद्र

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