रांची, 30 दिसम्बर (हि. स.)। केद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने बुधवार को चार राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड व पश्चिम बंगाल में रोग कालाजार की स्थिति की समीक्षा करने के लिए बैठक की। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता उपस्थित थे। बन्ना गुप्ता ने कहा कि सरकार कालाजार के खात्मे के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है। "कालाजार मलेरिया के बाद दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा परजीवी कारक है और यदि रोगियों का इलाज नहीं किया जाता है तो 95 प्रतिशत घातक परिणाम होता है। इसके अतिरिक्त, 20 प्रतिशत तक रोगी जिनका सही इलाज किया जाता है और ठीक हो जाते हैं। पोस्ट- कालाजार-डर्मल लीशमैनियासिस (पीकेडीएल) नामक एक त्वचा की स्थिति विकसित करते हैं, जो उपचार के बाद महीनों से लेकर वर्षों तक बनी रहती है। इन रोगियों में उनके त्वचा के घावों में बड़ी मात्रा में परजीवी हो सकते हैं, जिससे वे संचरण का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन सकते हैं। गुप्ता ने कहा कि 30 नवंबर 2020 तक, झारखंड में केवल 12 ब्लॉक में प्रति 10,000 आबादी पर एक से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। झारखंड ने कालाजार और पीकेडीएल के मामलों में कमी लाने के साथ-साथ प्रति 10,000 से अधिक एक मामले की रिपोर्टिंग करने वाले ब्लॉकों की संख्या में उल्लेखनीय प्रगति की है। राज्य योजनाओं के तहत बेहतर आवास प्रदान करने के लिये झारखंड सरकार द्वारा बिरसा मुंडा आवास योजना और भीमराव अंबेडकर आवास योजना के तहत लाभ दिया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में कालाजार उन्मूलन के लिए विशेष टास्क फोर्स बनी है जो लगातार समीक्षा करते रहती हैं। उन्होंने बताया कि हम रोगी को मुख्यमंत्री कालाजार राहत कोष से 6600 रुपए देती हैं। साथ ही इसके उन्मूलन में कार्य करने वाले लोगों देने वाली प्रोत्साहन राशि में बढ़ोतरी का विचार कर रही हैं। मौके पर प्रधान सचिव नितिन मदन कुलकर्णी, नेशनल हेल्थ मिशन के प्रबंध निदेशक रवि शंकर शुक्ला उपस्थित रहे। हिन्दुस्थान समाचार/कृष्ण-hindusthansamachar.in