We are proud of India's scientists: Congress
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हमें भारत के वैज्ञानिकों पर गर्व है : कांग्रेस

रांची, 18 जनवरी (हि. स.)। झारखंड कांग्रेस ने कहा है कि पूरा देश हमारे मेहनती वैज्ञानिकों, केमिस्ट एवं शोधकर्ताओं की योग्यता, दृढ़ निश्चय व अथक परिश्रम को नमन करता है, जिन्होंने निरंतर कठोर परिश्रम कर रिकॉर्ड समय में कोरोना महामारी की विभीषिका से लड़ने के लिए हिंदुस्तान में टीके का अविष्कार किया। पूरा देश उनका ऋणी है और हमें भारत के इन वैज्ञानिकों पर गर्व है। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने सोमवार को कहा कि भारत ने यह आत्मनिर्भरता चार-छह वर्षों में अर्जित नहीं की है। यह आजादी के बाद 73 साल की मेहनत का नतीजा है कि आज दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान में गर्भवती माताओं-बच्चों सहित 40 करोड़ मुफ़्त टीके प्रतिवर्ष देश के नागरिकों को लगाए जाते हैं। भाजपा द्वारा वैज्ञानिकों के शोध के परिणाम का इवेंट मैनजमेंट के तरह अपने नेताओं और प्रवक्ताओं के द्वारा राजनैतिक लाभ के लिए श्रेय लेने की होड़ निंदनीय है। आजादी के बाद भारत के आधुनिक इतिहास में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सरकार ने वैज्ञानिक शोध को बढ़ावा दिया तथा व्यापक तौर पर फैले आजादी के बाद देश में अंधविश्वास को खत्म करने के लिए एक देशव्यापी वैक्सीनेशन या टीकाकरण अभियान शुरु किया ताकि गंभीर बीमारियों से लड़ा जा सके। कुछ महत्वपूर्ण बीमारियां जिनसे टीकाकरण के माध्यम से 73 वर्षों में हम लड़ पाए, वो हैं - टी बी, चेचक, पोलियो, कुष्ठ रोग, खसरा, टिटनेस, डिप्थीरिया, काली खांसी, हैजा, दिमागी बुखार और मष्तिष्क की सूजन। उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सरकारों और वैज्ञानिकों की दशकों की मेहनत की वजह से आज भारत दुनिया की आधी से अधिक वैक्सिन पैदा करता है, बनाता है। लेकिन कांग्रेस पार्टी ने कभी भी इन उपलब्धियों का उपयोग राजनैतिक लाभ के लिए नही किया। पहला, राष्ट्रीय ट्यूबरकुलोसिस नियंत्रण कार्यक्रम (1962) शुरु किया। राष्ट्रीय चेचक उन्मूलन कार्यक्रम (1962) शुरु किया। 20 सूत्रीय कार्यक्रम के तहत टीकाकरण को (1975) में अनिवार्य बनाया। यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम (1985), यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम, जो दुनिया के इतिहास में सबसे बड़ा प्रोग्राम था, 1985 में शुरु किया। पाँच राष्ट्रीय मिशन के तहत 1986 में टीकाकरण को शामिल किया गया। राष्ट्रीय कुष्ठरोग उन्मूलन कार्यक्रम (1986) में और राष्ट्रीय टीकाकरण नीति, नेशनल वैक्सिन पॉलिसी (2011) में कांग्रेस की सरकारें लेकर आई। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम (1985) की शुरुआत राजीव गांधी ने की थी, जिसके तहत देश में छह बीमारियों के लिए टीका लगाया गया। ये बीमारियां हैं और जिनमें आज भी लगता है - बीसीजी यानि ट्यूबोक्लोसिस, ओपीवी यानि पोलियो, डीपीटी जो है डिप्थीरिया, पर्टुसिस (काली खांसी), टिटनेस तथा खसरा। सरकार की प्रतिबद्धता एवं हमारे वैज्ञानिकों के दृढ़ निश्चय से भारत ने 1977 में चेचक से संपूर्ण मुक्ति पाई। 2005 में ‘कुष्ठरोग’ का संपूर्ण उन्मूलन किया और 2011 में देश को ‘पोलियो-मुक्त’ बनाया तथा लगभग ट्यूबोक्लोसिस और हैजा को भी काफी हद तक नियंत्रित किया। ये सरकार की गहन प्रतिबद्धता थी और वैज्ञानिकों की काबिलियत थी कि देश में घरेलू वैक्सिन का विकास एवं उत्पादन संभव हो पाया। पर ‘वैक्सिन का विकास’ और देशव्यापी टीकाकरण’ को इससे पहले ‘ईवेंट’ या ‘प्रचार प्रसार’ का स्टंट कभी नहीं बनाया गया, बल्कि राष्ट्रव्यापी टीकाकरण के माध्यम से जनसेवा के मानदंड स्थापित किए गए। पूरा देश सबसे आगे रहकर काम कर रहे ‘कोरोना वॉरियर्स’ वो डॉक्टर हों, स्वास्थ्य कर्मियों हों, पुलिस कर्मियों हों या दूसरे हों, उनको टीका लगाने में सहयोग देने में कटिबद्ध हैं। हिन्दुस्थान समाचार/कृष्ण-hindusthansamachar.in

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