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तरबूज हो रहे लाल, पर पीले पड़ने लगे हैं किसानों के चेहरे

-पिछले वर्ष लाॅक डाउन के कारण खेतों में ही सड़ गये थे तरबूज खूंटी, 12 अप्रैल (हि.स.)। तरबूज की खेती के लिए खूंटी जिले की मिट्टी काफी उपजाऊ है। जिले के ग्रामीण इलाकों में तरबूज की भरपूर फसल होती है। खूंटी के तरबूज बंगाल, ओडिशा ही नहीं, नेपाल तक भेजे जाते हैं। सैकड़ों किसान तरबूज की खेती कर लाल हो रहे हैं, पर पिछले साल से जारी कोरोना के कहर से तरबूज उत्पादक किसानों के चेहरे पीले पड़ने लगे हैं। पिछले साल भी खूंटी जिले में तरबूज का भरपूर उत्पादन हुआ था, लेकिन कोरोना संकट को लेकर लाॅक डाउन हो जाने के कारण किसानों की फसल खेतों में ही सड़ गयी। कुछ बहुत खरीदार मिले, पर कमाई नहीं हुई। 2020 में तो कोरोना के कारण फसल नहीं बिकी, पर किसानों को उम्मीद है कि इस साल तो उन्हें कमाई होगी, पर जिस रफ्तार से कोरोना का कहर बढ़ रहा है, लाल तरबूज उगाने वाले किसानों के चेहरे पीले पडने लगे हैं। उन्हें इस बात का भय सता रहा है कि कहीं फिर लाॅक डाउन लग गया, तो उनकी मेहनत और कमाई पर पानी फिर जायेगा। जिले के कर्रा, तोरपा, रनिया, मुरहू, खूंटी और अड़की प्रखंड के ग्रामीण इलाकों में हजारों टन तरबूज का उत्पादन होता है। स्थानीय बाजार में इतनी मात्रा में तरबूज बिकना संभव नहीं है। किसानों को बाहर की मंडियों पर ही निर्भर रहना पड़ता है। लाॅक डाउन लगा, तो बर्बाद हो जायेंगे कर्रा प्रखंड के चीदी गांव के तरबूज उत्पादक किसान अभिमन्यु गोप कहते हैं कि तरबूज की फसल से कमाई तो अच्छी हो जाती है, पर कोरोना ने उन्हें बर्बाद कर दिया। इस बार भी लाॅक डाउन लगा, तो किसान बर्बाद हो जायेंगे। लाॅक डाउन के कारण उनकी फसल खेतों में ही सड़ गयी। गाड़ियों का परिचालन बंद होने से खूंटी के तरबूज मंडियों तक नहीं पहुंच पाये। उन्होंने कहा कि ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि कोरोना का संकट खत्म हो और किसानों की रोजी-रोटी चलती रहे। किसान बाजार की व्यवस्था करे प्रशासन: बिलकन टोपनो दियांकेल गांव के किसान बिलकट टोपनो कहते हैं कि कोरोना संकट को देखते हुए जिला प्रशासन को किसानों की सुधि लेनी चाहिए और तरबूज के लिए उचित बाजार की व्यवस्था करनी चाहिए। हिन्दुस्थान समाचार/अनिल

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