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गर्मी की तपिश के बीच खूंटी में गहराया जल संकट

खूंटी, 11 अप्रैल (हि.स.)। गर्मी की तपिश बढ़ने के साथ ही जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण इलाकों में जल संकट गहराने लगा है। जिले की दो प्रमुख नदियां कारो और छाता अप्रैल में ही सूख गयी हैं। खूंटी शहर के ऊपरी इलाकों में स्थित कुएं तालाब सूखने लगे हैं। इन क्षेत्रों में भूगर्भ जलस्तर निम्न होने के कारण गिनती के चापानलों को छोड़कर अधिकतर चापानल जवाब देने लगे हैं। ऐसे में शहर की एक बड़ी आबादी तजना जलापूर्ति केंद्र पर आश्रित हो गई है लेकिन गर्मी बढ़ते ही आये दिन किसी न किसी कारण से शहर में जलापूर्ति बाधित होने लगी है। गर्मी के मौसम में एक दिन भी जलापूर्ति बाधित होने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। उल्लेखनीय है कि खूंटी थाना के पीछे स्थित एक लाख गैलन क्षमता के जलमीनार से शहर में जलापूर्ति की जाती है लेकिन गर्मी के दिनों में शायद ही कभी समुचित जलापूर्ति होती है। शहरी जलापर्ति योजना पर चार वर्षों में महज 21 फीसदी ही काम हुआ खूंटी शहरी क्षेत्र में अगले 40 वर्षों में बढ़ने वाली संभावित जनसंख्या और उनकी जरूरतों के मुताबिक जलापूर्ति के लिए शहरी जलापूर्ति योजना की शुरुआत चार वर्ष पहले हुई थी लेकिन यह योजना नौ दिनों चले ढाई कोस वाली कहावत को चरितार्थ कर रही है। योजना की कार्यकारी एजेंसी की कार्यशौली ऐसी है कि जिला प्रशासन से लेकर नगर पंचायत के जनप्रतिनिधि भी त्रस्त हो चुके हैं। ठेकेदार को मानो कोई परवाह ही नहीं है। योजना की गति का अनुमान सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि इस योजना को 2021 तक शुरू होना था। हालांकि, सरकार अब 2022 तक सभी घरों में निर्बाध जलापूर्ति का दावा कर रही है। खूंटी के भाजपा विधायक और राज्य के पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा भी विधानसभा में इस मुद्दे को उठा चुके हैं। विधायक मुंडा के प्रश्न पर सरकार ने माना था कि अब तक महज 21 फीसदी ही काम हुआ है। उल्लेखनीय है कि तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा के प्रयास से एनडीए सरकार ने विश्व बैंक संपोषित यह योजना शुरू की थी। वर्ष 2018 में तत्कालीन नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने नगर भवन में तामझाम के साथ जलापूर्ति योजना का शिलान्यास किया था। जुडको की देखरेख में चल रही इस महत्वाकांक्षी योजना का काम तमिलनाडु के श्रीराम ईपीसी को सौंपा गया है। कंपनी जिस कच्छप गति से काम को अंजाम दे रही है उससे यह कतई नहीं लगता कि काम 2022 तक भी पूरा हो सकेगा। योजना में धीमी काम को लेकर कई बार जिले के उपायुक्त कंपनी के अधिकारियों को फटकार भी लगा चुके हैं लेकिन कंपनी की कार्य प्रणाली में कोई सुधार नहीं हो रहा है। कंपनी की कार्यशैली बहुत ही खराब: अर्जुन पाहन शहरी जलापूर्ति योजना की प्रगति और कार्यकारी एजेंसी की कार्यशैली पर नगर पंचायत के अध्यक्ष अर्जुन पाहन कहते हैं कि कार्यशौली में सुधार लाने की हिदायत उसे बार-बार दी जाती है। अनुश्रवन समिति की बैठक में भी कंपनी को कार्य में प्रगति लाने की चेतावनी दी गयी थी। कुछ दिनों तक कंपनी ने कुछ काम किया, फिर पुरानी स्थिति में आ गयी। नगर पंचायत अध्यक्ष कहते हैं कि जलापूर्ति योजना पर नगर पंचायत का नियंत्रण नहीं है। इसी का अनुचित लाभ कंपनी उठा रही है। हिन्दुस्थान समाचार/ अनिल/चंद्र

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