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पशुधन की बीमारी से दुखी ग्रामीण नहीं मनाएंगे सोहराय

पाकुड़,23जनवरी(हि.स.)। पशुधन व प्रकृति संरक्षण व संवर्धन की भावनाओं पर आधारित है संथाल आदिवासियों का सबसे बड़ा पर्व सोहराय। इसका इंतजार संथाल समाज बड़ी बेसब्री से करता है। लेकिन अमड़ापाड़ा प्रखंड के सिजुआ लाड़गंजो गांव में गोधन के बीच फैली अज्ञात बीमारी से दुखी आदिवासी किसानों ने इस बार सोहराय पर्व नहीं मनाने का फैसला किया है। जबकि प्रखंड सहित पूरे इलाके में इन दिनों सोहराय की धूम मची हुई है। उल्लेखनीय है कि सिजुआ लाड़गंजो गांव के अधिकांश लोगों की जीविका का एकमात्र साधन पशु पालन व कृषि ही है।ऐसे में पशुधन के अज्ञात बीमारी से ग्रस्त होने के चलते गांव भर के किसान मायूस हो उठे हैं। ग्रामीण लिखन बास्की, मार्शल सोरेन, विनाज बास्की आदि ने बताया कि हमारे गाय- बैलों के पैरों से खून का रिसाव हो रहा है, जिससे वे चल फिर नहीं सकते हैं। बीमार पशु ढंग से खा भी नहीं पा रहे हैं। ऐसे में हम सोहराय कैसे मना सकते हैं । जबकि सोहराय पर्व में पशुधन की महत्ता सर्वोपरि है।वैसे हम अपने स्तर से उनका उपचार कर रहे हैं, ताकि वे जल्द से जल्द स्वस्थ हो जाएं और हम धूमधाम से पर्व मना सकें। उन्होंने बताया कि हम निजी पशु चिकित्सकों से उनका इलाज कराने में असमर्थ हैं । जबकि विभागीय अधिकारियों ने आज तक कभी यहां नहीं आए। हम चाहते हैं कि पशु चिकित्सक यहां आएं और बीमार पशुओं का इलाज करें। उधर जिला पशु पालन पदाधिकारी डाॅक्टर कमलेश कुमार भारती ने मामले की जानकारी न होने की बात कही है।साथ ही कहा कि ग्रामीण प्रखंड पशु पालन कार्यालय को सूचित करें ताकि ससमय बीमार पशुओं का इलाज हो सके। मैं भी उन्हें गांव जाकर इलाज करने का निर्देश देता हूँ। हिन्दुस्थान समाचार/ रवि-hindusthansamachar.in

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