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डायन प्रथा पर रोक लगाने के लिए सामाजिक जागरूकता जरूरी: उपायुक्त

रांची, 22 फरवरी (हि.स.)। रांची के उपायुक्त छवि रंजन ने समाहरणालय परिसर से डायन प्रथा जागरुकता रथ को सोमवार को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। जिला प्रशासन (समाज कल्याण) की ओर से डायन कुप्रथा मुक्त झारखंड अभियान के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से जागरूकता रथ को रवाना किया गया है। जो लोगों को इस सामाजिक कुरीति के प्रति जागरुक करेगा। डायन प्रथा जागरूकता रथ के माध्यम से जिला के विभिन्न प्रखंडों एवं सुदूरवर्ती गांवों में लोगों को जागरूक किया जाएगा। डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम 2001 के तहत किसी महिला को ‘डायन’ के रूप में पहचान करने वाले तथा पहचान के प्रति अपने किसी भी कार्य, शब्द या रीति से कार्रवाई करने वाले को अधिकतम तीन महीने तक कारावास की सजा या एक हजार रुपये जुर्माना अथवा दोनों से दंडित करने का प्रावधान है। मौके पर उपायुक्त ने कहा कि ऐसी सामाजिक कुरीति पर अंकुश लगाने के लिए बड़े पैमाने पर सामाजिक जागरूकता बेहद जरूरी है। डायन प्रथा जैसी कुरीतियां ना केवल महिलाओं बल्कि समाज को भी नकारात्मक विचारधारा से ग्रसित करती हैं। अंधविश्वास के कारण उत्पन्न इन कुरीतियों से महिलाओं को प्रताड़ित करना अपराध है। डायन बिसाही जैसी कुप्रथा के कारण आज समाज के गरीब तथा असहाय महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि जागरुकता रथ के माध्यम से आमजनों को डायन एवं उससे संबंधित कुप्रथाओं के प्रति न केवल जागरूक किया जायेगा, बल्कि उससे जुड़े लोगों पर होने वाली कानूनी कार्रवाई के बारे में बताया गया जायेगा। उपायुक्त ने आमजनों से डायन बिसाही जैसी कुप्रथा पर विश्वास नहीं करने तथा अपने आसपास इस प्रकार की किसी भी घटना की जानकारी होने पर निकटतम पुलिस थाने से संपर्क करने की भी अपील की। हिन्दुस्थान समाचार/ विकास

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