झारखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का निधन

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रांची, 06 अप्रैल (हि.स.)। झारखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सिसई के पूर्व विधायक बंदी उरांव का सोमवार की रात निधन हो गया। वे 90 वर्ष के थे। उन्होंने हेहल बगीचा स्थित आवास में अंतिम सांस ली। वे बिहार सरकार में मंत्री भी रहे और जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष के तौर पर पेसा कानून बनाने में अहम भूमिका निभाई। सिसई क्षेत्र का चार बार प्रतिनिधित्व कर चुके बंदी उरांव कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। उनके निधन पर राजनीतिक दलों के साथ आदिवासी संगठनों ने गहरा शोक व्यक्त किया है। विधायक बंधु तिर्की ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि बंदी उरांव के साथ एक युग का अंत हो गया। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि आज हमने पार्टी का एक मजबूत स्तंभ खो दिया है। उन्होंने कहा कि बंदी उरांव पूरी ईमानदारी, योग्यता और कर्तव्यनिष्ठा के साथ जिंदगी भर जल, जंगल, जमीन बचाने और झारखंड की अस्मिता सुरक्षित रखने के लिए संघर्ष करते रहे। बंदी उरांव का जन्म 16 जनवरी. 1931 को गुमला जिले के दतिया गांव में हुआ था। उन्होंने रांची जिला स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा 1947 में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की। उरांव ने तीन साल पहले न्यूजविंग को एक साक्षात्कार में कहा था कि उनसे पहले ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों में कार्तिक उरांव प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थी थे। कार्तिक उरांव उनके आदर्श रहे थे। वह भी चाहते थे कि उनकी तरह इंजीनियर बनूं, लेकिन बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर पुलिस सेवा में आ गया। बंदी उरांव 1980 में गिरिडीह जिले के पुलिस अधीक्षक बने। बंदी उरांव के मुताबिक 1980 में गिरिडीह जिले के एसपी के पद पर रहते हुए कार्तिक उरांव की प्रेरणा से नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। इसके बाद सिसई विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गये। उन्होंने पंचायत विस्तार (अनुसूचित क्षेत्र) अधिनियम (पेसा) कानून को लेकर लंबा संघर्ष किया था। फुटबॉल उनका पसंदीदा खेल था। उनके पुत्र अरुण उरांव भी पुलिस अधिकारी रह चुके हैं जो अभी भारतीय जनता पार्टी में हैं। पुत्रवधू गीताश्री उरांव भी कांग्रेस के टिकट पर विधायक रह चुकी हैं। हिन्दुस्थान समाचार/ वंदना/चंद्र

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