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सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखा पत्र

रांची, 27 जून (हि.स.)। राज्य के पूर्व मंत्री और विधायक सरयू राय ने रविवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है। यह पत्र लौह अयस्क की करमपदा स्थित पट्टा रद्द खदान से बिना किसी सक्षम सरकारी पदाधिकारी से आदेश लिए जिला खनन पदाधिकारी, पश्चिमी सिंहभूम द्वारा लौह अयस्क भण्डार का बिक्री करने के लिए उठाव किये जाने के लिए निजी स्तर पर चालान देने के संबंध में है। साथ ही सारण्डा वन प्रमण्डल क्षेत्र के वन पदाधिकारी द्वारा बिना किसी सक्षम पदाधिकारी के आदेश के निजी स्तर पर लौह अयस्क की ढुलाई के लिए परिवहन परमिट जारी करने के संबंध में है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि सरकार के खान एवं भूतत्व विभाग तथा वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के जिला स्तरीय पदाधिकारियों के जिस कारनामें का उल्लेख मैं इस पत्र के माध्यम से कर रहा हूँ, वह भारतीय लोक प्रशासन के इतिहास में एक अनोखा उदाहरण प्रस्तुत करनेवाला है। ऐसा किसी अन्य राज्य की सरकार में अथवा केन्द्र सरकार में नहीं हुआ होगा कि बिना किसी सक्षम पदाधिकारी के आदेश के किसी जिला खनन पदाधिकारी ने खनन पट्टा रद्द हो चुके खदान अवस्थ्ति लौह अयस्क भंडार को बेचने के लिए चालान दे दिया हो। वहाँ के वन पदाधिकारी ने इस लौह अयस्क के परिवहन के लिए अपने स्तर से परमिट जारी कर दिया हो। झारखण्ड में इसी सप्ताह ऐसा हुआ है और ऐसा किया है, पश्चिम सिंहभूम के जिला खनन पदाधिकारी और सारण्डा वन प्रमण्डल के वन पदाधिकारी ने। इस गंभीर मामले का संज्ञान लेंगे और इस मामले में विधिसम्मत कार्रवाई करेंगे। जिला खनन पदाधिकारी, पश्चिम सिंहभूम द्वारा रद्द खनन पट्टा वाली लौह अयस्क खदान से लौह अयस्क उठाव के लिए चालान दिया जाना निहायत अवैध है। उनकी अनुशासहीनता और आपराधिक मनोवृति का द्योतक है। इसके लिए उनके विरूद्ध निलम्बनोपरांत सुसंगत कानूनी प्रावधानों के तहत कार्रवाई करने का आदेश आपके स्तर से दिया उचित होगा। ऐसा ही आचरण सारण्डा वन प्रमण्डल के वन पदाधिकारी ने प्रस्तुत किया है। उन्होंने जिला खनन पदाधिकारी जारी किए गये चालान को आधार बनाकर उक्त खदान से बिक्री के लिए ले जानेवाले लौह अयस्क के लिए परिवहन परमिट दे दिया है। जबकि नियम है कि खनन पट्टा रद्द हो चुके खदान से अथवा उस खदान से जिसे वन मंजूरी नहीं है अथवा उस खदान से जिस पर सरकार का बकाया है। लौह अयस्क के उठाव के लिए परिवहन परमिट वन विभाग द्वारा नहीं दिया जा सकता है। इसके बावजूद सारण्डा वन प्रमंडल के वन पदाधिकारी ने यह गैर-कानूनी कृत्य किया है और अपने स्तर से परिवहन परमिट निर्गत कर दिया है। इसके लिए न तो उन्हें विभाग के किसी सक्षम पदाधिकारी का आदेश प्राप्त है अथवा न ही उन्होंने इस बारे में किसी विभागीय सक्षम पदाधिकारी से मार्गदर्शन ही मांगा है। उनका यह कृत्य न केवल अवैध है बल्कि आपराधिक भी है। इसके लिए उन्हें निलंबित कर उनके विरूद्ध भारतीय दंड संहित की सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। हिन्दुस्थान समाचार/कृष्ण

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