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संत रविदास मानवीय मूल्यों के पक्षधर थे : रामेश्वर

रांची, 27 फरवरी (हि. स.)। झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने संत शिरोमणि रविदास की जयंती पर श्रद्धांजलि दी है एवं उन्हें नमन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि संत रविदास मानवीय मूल्यों के पक्षधर थे और जन जन में भक्ति का संचार किया एवं सामाजिक जिम्मेदारियों से मुंह मोड़े बिना ही सहज भक्ति की ओर अग्रसर हुए। जिसमें पूरी मानवता के लिए खुले हृदय से आदर, प्रेम और सद्भावना का संदेश था। उरांव ने कहा कि संत रविदास की अपने काम के प्रति प्रतिबद्धता इस उदाहरण से समझी जा सकती है कि एक बार रविदास अपने काम में इतने लीन थे कि उनसे किसी ने गंगा स्नान के लिए साथ चलने का आग्रह किया। संत ने कहा कि मुझे किसी को जूते बनाकर देने हैं। यदि आपके साथ चला गया तो समय पर काम पूरा नहीं होगा और मेरा वचन झूठा पड़ जाएगा। फिर अगर मन सच्चा हो तो कठौती में भी गंगा होती है। यहीं से यह कहावत जन्म लिया कि मन चंगा तो कठौती में गंगा। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने श्रद्धांजलि अर्पित करते कहा कि संत रविदास समाज में फैली जातिगत ऊंच-नीच के धुर विरोधी थे और कहा करते थे सभी एक ईश्वर की संतान है। जन्म से कोई भी जात लेकर पैदा नहीं होता। इतना ही नहीं वह एक ऐसे समाज की कल्पना भी करते थे, जहां किसी भी प्रकार का लोभ लालच, दुख, दरिद्रता,भेदभाव नहीं हो। उन्होंने अपने दोहों व पदों के माध्यम से समाज में जातिगत भेदभाव को दूर कर सामाजिक एकता पर बल दिया और मानवतावादी मूल्यों की नींव रखी। संत रविदास की सहजता सरलता निष्कपटता, उदारता तथा सेवा भाव अपने आप में अद्भुत थे। प्रवक्ता लाल किशोर नाथ शाहदेव और राजेश गुप्ता ने कहा कि संत रविदास की जयंती पूरे राज्य में हर्षोल्लास पूर्वक मनाई जा रही है। कोरोना को देखते हुए संख्या भले ही कम है लेकिन भावनाएं असीम हैं। उनके द्वारा किए गए कार्यों से आज भी पीढ़ियां प्रेरणा लेती हैं। रविदास की भक्ति भावना,आत्म निवेदन की एकाग्रता, निष्कपट व्यवहार की प्रसिद्धी दूर दूर तक फैली हुई है। देशभर में माघ पूर्णिमा के अवसर पर संत रविदास का जन्म दिवस बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। समाज में फैले भेदभाव, छुआछूत को वह एक सामाजिक बुराई मानते थे। जीवन भर उन्होंने लोगों को अमीर गरीब, हर व्यक्ति के प्रति एक समान भावना रखने की सीख दी थी। हिन्दुस्थान समाचार/कृष्ण

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