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प्रभु श्रीराम सामाजिक समरसता के प्रतीक : हरिनारायण

रांची, 21 फरवरी (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत सह बौद्धिक प्रमुख हरिनारायण ने कहा कि प्रभु श्रीराम सामाजिक समरसता के प्रतीक हैं । सबरी का आतिथ्य स्वीकार कर प्रभु ने जुठे बेर खाया। वनवासी हनुमान को गले लगाकर तथा निषादराज गुह के प्रति आत्मीयता का भाव प्रकट कर भगवान राम ने शहरी- ग्रामीण के भेदभाव को पाट दिया। ऊंच -नीच जाति- पाती आदि को नजरअंदाज कर उन्होंने श्रेष्ठ भारत के निर्माण के लिए अपना संपूर्ण जीवन समाज को दे दिया। भगवान राम के गुणों को आत्मसात किए बिना नए भारत का निर्माण संभव नहीं है। उक्त बातें श्री राम जानकी शोभा यात्रा समिति सेल सिटी के तत्वाधान में आयोजित श्री राम जानकीशोभायात्रा में कही । उन्होंने कहा कि आज हम सभी को और आने वाली पीढ़ी को प्रभु राम के चरित्र ,आदर्श एवं गुणों को अपनाने की आवश्यकता है। सभी प्रकार के क्षुद्र भाव से ऊपर उठकर हम सभी भारतीय एक हैं का भाव अंतःकरण में जागृत करने की आवश्यकता है। हमें अपने राष्ट्र के प्रति का भाव अन्तःकरण में जागृत करने की आवश्यकता है ।हमें अपने राष्ट्र के प्रति समर्पित भाव से कार्य करने की आवश्यकता है तभी यह श्रद्धा का केंद्र और हमारी संस्कृति बची रहेगी। आज पूरा भारत वर्ष राममय हो गया है। संपूर्ण समाज अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए हनुमान बनकर जुटा है। संपूर्ण भारत में छोटी-छोटी टोलियाँ बनाकर राम भक्ति और राष्ट्र भक्ति को जगाने का कार्य चल रहा है। वर्तमान पीढ़ी का परम सौभाग्य है कि उनके जीवन काल में राम मंदिर के निर्माण का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। भारत के प्रथम नागरिक महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से लेकर सर्वसाधारण जन भी इस महान एवं पवित्र कार्य में अपना सहयोग दे रहे हैं। जिस प्रकार प्रभु श्री राम ने अधर्म पर धर्म की विजय की थी उसी प्रकार अयोध्या में राम मंदिर बनाना संपूर्ण समाज के लिए असत्य पर सत्य की विजय है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत तथा भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राम जन्मभूमि पर भूमि पूजन करना भारत के यशस्वी भविष्य का परिचायक है। हिन्दुस्थान समाचार/ विकास

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