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ग्रामीण इलाके के लोगों को नहीं है कोरोना का भय, नहीं करते मास्क का उपयोग

खूंटी , 11 अप्रैल(हि. स.)। कोरोना को लेकर शहर के लोगों में जागरूकता आयी हो और कुछ लोग मास्क का उपयोग करते हों, पर गांव-देहात में मानो इस महामारी का कोई खौफ ही न है। गांवों में हर तरह के खेलकूद के आयोजन तक होते हैं। गांव के लोग अपने चेहरे पर तभी मास्क लगाते हैं, जब उन्हें शहर की ओर जाना होता है। गांव-घर में रहने के दौरान मास्क की जरूरत किसी को नहीं होती। लोग बेखौफ बिना मास्क के एक-दूसरे के आते-जाते हैं। गांवों में लगने वाली साप्ताहिक हाटों में सैकड़ा लोगों का जुटान होता है, पर एक-दो लोगों के चेहरे पर ही मास्क नजर आता है। ऑटो और यात्री बसों में लोग मास्क के महत्व को नहीं समझते। गांवों की बातें तो दूर, तोरपा, कर्रा, रनिया, मुरहू प्रखंड मुख्यालय जैसे अर्द्ध शहरी क्षेत्रों में भी बहुत कम लोग ही मास्क का उपयोग करते हैं। हां, पूछने पर स्वीकार करते हैं कि पहनना तो चाहिए, पर भूल हो गयी। प्रखंड मुख्यालयों में भी प्रशासन द्वारा कभी मास्क चेकिंग अभियान नहीं चलाया जाता। कोरोना के पहले दौर में लोगों का कोराना को लेकर इस तरह का खौफ व्याप्त था कि एक गांव के लोगों को दूसरे गांव में घुसने तक नहीं दिया जाता था। गांवों की मुख्य सड़कों को बंद कर दिया गया था। किसी बड़े शहर से कोई व्यक्ति पास-पड़ोस में आ जाता था, तो तुरंत प्रशासन और पुलिस को लोग सूचना देते थे, पर इस बार कोरोना का कोई डर लोगों में नहीं है। उन्हें लग रहा है कि कोरोना उनका क्या विगाड़ लेगा। यही कारण है कि कहीं भी कोरोना गाइडलाइन का पालन नहीं हो रहा है। हिन्दुस्थान समाचार/अनिल

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