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शिक्षकों को सम्मान देने वाला समाज ही विकास के मार्ग पर अबाध गति से चलायमान रहता है : राज्यपाल

-श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के सीनेट की बैठक को किया संबोधित रांची, 24 फरवरी (हि. स.)। राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारतीय परम्परा में शिक्षकों को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। शिक्षकों को सम्मान देने वाला समाज ही विकास के समग्र मार्ग पर अबाध गति से चलायमान रहता है। शिक्षक समाज का मार्गदर्शक होता है, पथ-प्रदर्शक होता है, जो हमें मात्र पुस्तकीय ज्ञान ही नहीं देता, अपितु जीवन जीने की कला सिखाता है। राज्यपाल बुधवार को श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के सीनेट की बैठक को संबोधित कर रही है। उन्होंने कहा कि सीनेट किसी भी विश्वविद्यालय की सर्वोच्च नियामक इकाई होती है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस बैठक में लिए गए निर्णयों से यह विश्वविद्यालय अपनी स्थिति को और अधिक सुदृढ़ करने में समर्थ होगा। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय को प्रगति के पथ पर ले जाने के लिए शिक्षकों की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है और उन्हें इस ओर सतत प्रयत्नशील रहना चाहिए। शिक्षकों को अध्ययन-अध्यापन के अतिरिक्त स्वयं को शोधकार्यों में प्रवृत्त करना चाहिए। शोध-कार्य ऐसे होने चाहिए जिससे समाज लाभान्वित हो सके। विश्वविद्यालय को अनेक स्रोतों से इसके लिए कोष की व्यवस्था करनी चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय को ज्ञान, अनुसंधान, विचार, प्रयोग का केन्द्र बनना चाहिए। विश्वविद्यालय के पुस्तकालयों को समृद्ध किया जाए। ऐसा प्रयास होना चाहिए जिससे शिक्षकों को तकनीकी रूप से दक्ष बन सकें एवं आवश्यकतानुसार उसका प्रयोग कर सकें। उम्मीद है कि यह नवस्थापित विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करेगा। हिन्दुस्थान समाचार/कृष्ण

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