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आजादी की लड़ाई को आगे बढ़ाने वाले नीलकंठ सहाय नहीं रहे

मेदिनीनगर, 11 मार्च (हि.स.)। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में पलामू की अहम भूमिका रही है। 1857 से लेकर 1947 तक पलामू के कई लोग सक्रिय रहकर आजादी की लड़ाई को आगे बढ़ाते रहे। उनमें एक नीलकंठ सहाय थे। नीलकंठ सहाय आजादी के बाद की राजनीति से खुश नहीं थे। पलामू के विकास प्रक्रिया को देखते हुए बराबर कहा करते थे तालाबों का अतिक्रमण पलामू में नीचे जा रहे जलस्तर का कारण है। आजादी के बाद भी पूरी सजगता के साथ बेबाक टिप्पणी करने वाले नीलकंठ सहाय का निधन गुरुवार को 1 बजे दिन में हो गया। वे 99 वर्ष के थे। संभवतः पलामू जिला के अंतिम स्वतंत्रता सेनानी भी थे। नीलकंठ सहाय साझी विरासत और सांप्रदायिक एकता के प्रतीक थे। नीलकंठ सहाय की पार्थिव शरीर का 12 मार्च की सुबह मेदिनीनगर स्थित हरिश्चंद्र घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा। हिन्दुस्थान समाचार/संजय

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