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प्रवासी श्रमिकों के कल्याण के लिए ठोस नीति बनाने की जरूरत : मुख्यमंत्री

रांची,12 फरवरी (हि.स.)। देश की अर्थव्यवस्था के पहिये को सशक्त करने में प्रवासी श्रमिकों का भी बड़ा योगदान रहता है। लेकिन आज इनका भविष्य अंधकार में है। प्रवासी श्रमिकों के कल्याण के लिए केंद्र और राज्य सरकार को ठोस नीति बनाना चाहिए। क्योंकि श्रमिक लगातार छले और ठगे जा रहे हैं। इनके कल्याण के लिए बड़े स्तर से कार्य करने की जरूरत है। यह बात शुक्रवार को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कही। सोरेन यहां एक समाचारपत्र समूह और ओमिड्यार के संयुक्त तत्वावधान में हुए डिकोडिंग इंडियाज इनटरनल माइग्रेशन विषय पर आयोजित वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखण्ड खनिज प्रधान राज्य है। यहां के खनन प्रभावित क्षेत्रों में पलायन की अधिक समस्या है। क्योंकि वहां की भूमि खेती के योग्य नहीं रहती। ऐसे में मजबूरन श्रमिकों को बाहर निकलना पड़ता है। राज्य के श्रमिकों की बेहतरी के लिए प्रयासरत हूं। आगामी बजट में लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाने की दिशा में कार्य किया जाएगा। यह कार्य ग्रामीण क्षेत्र को केंद्रित कर होगा, जिससे पलायन की समस्या को कुछ हद तक कम किया जा सके। संक्रमण काल में सरकार ने निभाई जिम्मेदारी मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल में प्रवासी श्रमिकों को सड़कों पर छोड़ दिया गया। लेकिन राज्य सरकार ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया है। उत्तराखंड आपदा में राज्य के श्रमिकों की मौत होना दुःखद है। राज्य सरकार ने आपदा में फंसे श्रमिकों के परिजनों के लिए टोल फ्री नंबर जारी किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज ही एक स्थानीय अखबार में तमिलनाडु में कुछ श्रमिकों को बंधक बनाये जाने की बात सामने आई है। श्रमिकों का संगठित तरीके से शोषण किया जा रहा है। राज्य सरकार ने बीआरओ के साथ समझौता के तहत राज्य के श्रमिकों को देश के सीमावर्ती क्षेत्र में सड़क निर्माण के लिए भेजा गया। पूर्व में श्रमिकों को कार्य के एवज में कम पारिश्रमिक मिलता था। राज्य सरकार ने श्रमिकों के लिए उचित पारिश्रमिक व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में भी कार्य किया गया। हिन्दुस्थान समाचार / वंदना-hindusthansamachar.in

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