विस्थापितों और टाना भगतों की समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री से मिली विधायक
विस्थापितों और टाना भगतों की समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री से मिली विधायक

विस्थापितों और टाना भगतों की समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री से मिली विधायक

रांची, 30 जून (हि. स.)। कांग्रेस की बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद ने मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से विस्थापितों और टाना भगतों की समस्याओं को लेकर मुलाकात की। विधायक ने कहा कि बड़कागांव में कई कोल कंपनियों के द्वारा खनन का कार्य किया जा रहा है। जिसमें वर्तमान मे एनटीपीसी के द्वारा बड़कागांव के लगभग दर्जनों गांव में जमीन अधिग्रहण कर कोयला निकालने का कार्य किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि दो दिन पूर्व बड़कागांव के डाड़ी पंचायत में भू रैयतों के द्वारा विस्थापन तथा मुआवजा और नौकरी को लेकर विधायक अंबा प्रसाद तथा बड़कागांव अंचला अधिकारी वैभव कुमार सिंह के साथ बैठक किया गया था। जिसमें ग्रामीणों ने बताया था कि एनटीपीसी के सहयोगी कंपनी त्रिवेणी सैनिक माइनिंग के द्वारा जबरन हमारी जमीन को छीन लिया जा रहा है और जमीन का मुआवजा मांगने पर झूठे केस में फंसा कर जेल भेज दिया जाता है। कई ग्रामीणों ने बताया कि उनकी जमीन जाने के बावजूद कंपनी के द्वारा आज तक न तो मुआवजा दिया गया और ना ही नौकरी मिला। जिस कारण उनके समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। ग्रामीणों ने बताया कि एनटीपीसी तथा त्रिवेणी सैनिक के द्वारा बाहरी लोगों को नौकरी में रखकर विस्थापितों भू रैयतों तथा स्थानीय लोगों को अनदेखा कर रही है । साथ ही टंडवा के रैतयो ने तथा प्रखंड के ठेठांगी में टाना भगतों के द्वारा पिछले एक सप्ताह से नौकरी, मुआवजा तथा जंगल जमीन का पट्टा देने को लेकर टाना भगतो ने रेलवे लाइन को पूर्णतः बंद कर दिया था। साथ ही राज्य में जूता चप्पल एवं कपडे की दुकानों को खुलवाने तथा बड़कागांव में लोड सेडींग में संशोधन कर बिजली कटौती को कम करने यादि समस्याओं को लेकर विधायक ने मुख्यमंत्री से मांग की । मुख्यमंत्री ने तत्काल कार्रवाई करते हुए एक सप्ताह के अंदर टाना भगतों के समस्या का समाधान करने के लिए चतरा जिला उपायुक्त को आदेश दिया। साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इस पर गंभीर है और जल्द ही विस्थापन आयोग का गठन सरकार करने जा रही है। भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत मुआवजा भुगतान किया जाएगा, जो मुआवजा पूर्व में दी गई है उस पर भी सर्किल रेट के आधार पर जो तय होता है। उससे चार गुना मुआवजा दिलाने का भी सरकार ने निर्णय लिया है, जो कंपनी देगी । जिनकी जमीन कंपनी के द्वारा अधिग्रहण किया गया है उनको नौकरी भी कंपनी को देना होगा, उसका एक फॉर्मेट बना हुआ है । इसमें भी कुछ चीजें स्पष्ट है और कुछ नहीं यह बात जरूर कहा जा सकता है कि कुछ व्यवहारिक रुप से चीजें अलग दिखाई देती है । लेकिन सरकार भूमि अधिग्रहण और मुआवजे को लेकर काफी गंभीर है। आने वाले समय में इसका जड़ से निदान हो सके इसके लिए विस्थापन आयोग का गठन हम लोग कर रहे हैं। जिससे इन सब समस्याओं का समाधान पूरे राज्य स्तर पर किया जाएगा । हिन्दुस्थान समाचार/कृष्ण/ विनय-hindusthansamachar.in

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