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परमवीर अलबर्ट एक्का की धर्मपत्नी बलमदीना एक्का का पैतृक गांव जारी में हुआ अंतिम संस्कार

गुमला,16 अप्रैल ( हि.स.) । 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान तीन दिसंबर को अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले परमवीर चक्र से सम्मानित भारत माता के सपूत अलबर्ट एक्का की धर्मपत्नी बलमदीना एक्का ने भी शुक्रवार की सुबह अपने शरीर को छोड़ दिया। उनके निधन का समाचार फैलते ही पूरे जारी प्रखंड में शोक की लहर दौड़ गई। तीन दिसंबर को परमवीर अलबर्ट एक्का के शहादत दिवस हो,या गणतंत्र दिवस हो या फिर स्वतंत्रता दिवस,बलमदीना एक्का को याद किया गया,उन्हें सम्मानित किया गया। मगर जब उनका पार्थिव शरीर दफनाया जा रहा था तो सरकार का कोई नुमाइंदा,कोई मंत्री-विधायक वहां मौजूद नहीं था। बलमदीना एक्का के निधन पर जारी गांव के किसी भी घर में चुल्हा तक नहीं जला। स्थानीय़ नेताओं व ग्रामीणों ने उनके शव पर पर पुष्प अर्पित करते हुए अश्रुपूरित नेत्रों से श्रद्धांजलि अर्पित किया। बलमदीना अपने पीछे पुत्र भिन्सेंट एक्का,पुत्रवधू रजनी एक्का और पांच नाती-पोती को छोड़ गई है। उल्लेखनीय है कि बलमदीना एक्का का जन्म छतीसगढ़ राज्य के जशपुर जिला अंतर्गत किलिग गांव में हुआ था। इसी गांव में उनका बचपन बीता। 1967 में उनका विवाह जारी गांव के अलबर्ट एक्का से हुआ। महज तीन साल कुछेक माह दाम्पत्य जीवन का सिलसिला चला। इसी दौरान भारत-पाक के बीच युद्ध के बादल मंडराने लगा। पूर्वी पाकिस्तान में मुक्ति संग्राम का बिगुल बजने लगा। अंतत: भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध भड़क उठा। भारत को सैन्य हस्तक्षेप करना पड़ा। अगरतल्ला में लांस नायक अलबर्ट एक्का ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए कई दुश्मनों को मौत के घाट उतार दिया। और अंत में उन्होंने भारत माता के चरणों पर अपनी शीश चढ़ा दिया। उनके अतुलनीय पराक्रम को देखते हुए सरकार ने उन्हें मरणोपरांत सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र देकर सम्मानित किया। परमवीर अलबर्ट एक्का के शहादत पर भले ही उनका जीवन एकाकी हो गया, मगर अपने पति के बलिदान को लेकर वह खूद को गौरवान्वित महसूस करती थी। अलबर्ट एक्का अपने पीछे पुत्र भिन्सेंट एक्का के रूप में अपनी निशानी छोड़ गयें गयें थे। बलमदीना एक्का अपने एकमात्र पुत्र के देखभाल में लग गई। बेटे की शादी कराई। नाती-पोते हुएं। भिन्सेंट एक्का जारी ब्लॉक में लिपिक के पद पर कार्यरत है। उम्र की ढलान पर वह अक्सर बीमार रहा करती था। जारी प्रखंड मुख्यालय में कोई चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध नहीं रहने के कारण वह चैनपुर में आकर रहने लगी। उनके सम्मान में कहीं कोई कमी नहीं रही। विभिन्न मंचों पर उन्हें बुलाकर सम्मानित करने का सिलसिला हाल तक चलता रहा। परमवीर अलबर्ट एक्का के सम्मान में डुमरी प्रखंड से काट कर उनके नाम पर परमवीर अलबर्ट एक्का जारी प्रखंड बनाया गया। मगर इस प्रखंड में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं बन पाया है । शुक्रवार को जारी गांव में धार्मिक रीति-रिवाज के अनुसार उनके पति परमवीर अलबर्ट एक्का के समाधि स्थल के समीप दफना दिया गया। मौके पर सैकड़ों ग्रामीणों ने अश्रुपूरित नेत्रों से अंतिम विदाई दी। हिन्दुस्थान समाचार / वंदना

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