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झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो हुए स्वस्थ

रांची, 21 जनवरी (हि. स.)। झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो फेफड़े के गंभीर संक्रमण की बीमारी से पूरी तरह से स्वस्थ हो गये हैं। कोरोना संक्रमण के कारण गंभीर रूप से संक्रमित हुए शिक्षा मंत्री का चेन्नई के एमजीएम हेल्थकेयर हॉस्पिटल में इलाजरत हैं। इस दौरान शिक्षा मंत्री का सफल लंग्स ट्रांस्पलांट हुआ है। 92 दिन बाद शिक्षा मंत्री काफी स्वस्थ दिखे हैं। काफी दिनों पर उनके चेहरे पर मुस्कान दिख रही है। संभावना है कि हॉस्पिटल से जल्द शिक्षा मंत्री को छुट्टी मिल सकती है और झारखंड वापस आ सकते हैं। बताया जाता है कि कोविड-19 के कारण फेफड़ों के गंभीर संक्रमण के कारण मंत्री को प्रत्यारोपण की आवश्यकता थी और यह काम एमजीएम हेल्थकेयर में कार्डिएक साइंसेज के अध्यक्ष और निदेशक डॉ केआर बालाकृष्णन व हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट कार्यक्रम के निदेशक द्वारा किया गया था। उन्हें प्रत्यारोपण विशेषज्ञों की अपनी टीम द्वारा सहायता प्रदान की गई, जिसमें डॉ सुरेश राव, डॉ श्रीनाथ और डॉ अपार जिंदल शामिल थे। 54 वर्षीय मंत्री, कोरोना वायरस से संक्रमित होने के अलावा उच्च रक्तचाप, मधुमेह और कोरोनरी धमनी की बीमारी से भी पीड़ित थे, जिसने इसे और ज्यादा गंभीर बना दिया। कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण होने वाले फाइब्रोसिस ने उनके फेफड़ों को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया था और उनका उपचार रेमेड्सवीर व अन्य स्टेरॉयड के साथ किया गया था। धीरे-धीरे उनकी स्थिति खराब होती गई और उनकी ऑक्सीजन की क्षमता विशेष रूप से कम हो गई थी। एमजीएम की क्लीनिकल टीम ने उनका आकलन किया और क्लीनिकल स्थिति बिगड़ने के मद्देनजर, उन्हें 19 अक्टूबर 2020 को वेनो वेनस ईसीएमओ पर रखा गया। एडवांस क्लीनिकल देखभाल के लिए एमजीएम हेल्थकेयर चेन्नई के लिए एयरलिफ्ट किया गया। इस कोविड-19 के दौरान सामने आई चुनौतियों के बावजूद, चेन्नई के केंद्र में एक मल्टी स्पेशियलिटी क्वाटर्नरी केयर अस्पताल, एमजीएम हेल्थकेयर ने सर्जरी की और मंत्री अब स्वस्थ हो गए हैं। उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल रही है। डॉ केआर बालकृष्णन ने गुरुवार को पत्रकारों से कहा कि यह एक चुनौतीपूर्ण मामला था। क्योंकि कोविड द्वारा खराब हुए फेफड़ों के लिए अभी तक बहुत अधिक प्रत्यारोपण नहीं किए गए हैं। हालाँकि, हमने मंत्री की शर्त को देखते हुए रोगी सुरक्षा और अपेक्षित रोगी परिणाम सुनिश्चित करने के लिए कुछ त्वरित निर्णय लिए। हमने अपने सामने उपलब्ध सभी विकल्पों को देखा और प्रत्यारोपण के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया। डॉ बालाकृष्णन ने कहा कि मरीज ने इस प्रक्रिया के लिए अच्छी प्रतिक्रिया दी और उनके फेफड़े अब अच्छी तरह से काम कर रहे हैं। सफल फेफड़े के प्रत्यारोपण के बाद उनके ईसीएमओ को हटा दिया गया था, जिसमें उनके ऑक्सीजन स्तर में धीरे-धीरे सुधार हुआ। सर्जरी के बाद, प्रत्यारोपित फेफड़े अच्छी तरह से काम कर रहे थे। उन्हें आठ दिसंबर 2020 को मशीनी वेंटिलेशन से हटा दिया गया था। अंत में एक जनवरी 2021 को उनकी ट्रेकियोस्टोमी को हटा दिया गया था और वर्तमान में उनमे अच्छा सुधार हो रहा हैं। उनके महत्वपूर्ण पैरामीटर स्थिर हैं और निरंतर निगरानी में हैं। इंस्टीट्यूट ऑफ हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट एंड मैकेनिकल सर्कुलर सपोर्ट के सह-निदेशक डॉ सुरेश राव ने कहा कि मंत्री की स्थिति स्थिर है। उनके ईसीएमओ को फेफड़े के प्रत्यारोपण के बाद हटा दिया गया है। इसके अलावा वे सभी मरीज जो कोविड निमोनिया से पीड़ित हैं और वेंटिलेटर जिनके सकारात्मक परिणाम दिखाने में विफल रहते हैं। ईसीएमओ समर्थित प्रक्रिया उनके लिए जीवनदायी साधन हो सकता है। फेफड़े का प्रत्यारोपण उन कोविड से उबरे लोगों के लिए अच्छा जवाब हो सकता है, जिनके फेफड़े गंभीर फाइब्रोसिस का सामना करते थे, जिसने उन्हें पुराना सांस का रोगी बना दिया था। हिन्दुस्थान समाचार/कृष्ण-hindusthansamachar.in

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