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झारखंड का इतिहास संघर्षों से रचा बसा : रामेश्वर

रांची, 30 जून (हि. स.)। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ उलगुलान के आगाज की शुरुआत और संघर्ष के प्रतीक संथाल हूल दिवस के मौके पर प्रदेश कांग्रेस की ओर से बुधवार को रांची के सिद्धो कान्हू पार्क में सिद्धू कान्हू को श्रद्धांजलि दी गई। साथ ही पार्क स्थित सिद्धू कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर एवं दीप जलाकर चांद भैरो-झूलो झानो को भी श्रद्धांजलि दी। मौके पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने सिद्धू कान्हू के कदमों में शीश झुकाया। इस अवसर पर रामेश्वर उरांव ने कहा कि सिद्धू-कान्हू की शहादत के प्रेरणा से ही झारखंड में आदिवासियों-मूलवासियों की जमीन को बचाने में सफलता मिली है। पूर्ववर्ती रघुवर दास के शासनकाल में लोगों की जमीन को लूटने का काम किया गया। लेकिन गठबंधन सरकार ने अमर शहीद सिद्धू-कान्हू, फूलो-झानो की प्रेरणा से ही जमीन को बचाने का काम किया है। उनकी प्रेरणा से भविष्य में भी सरकार उनके दिखाये मार्गों पर चल कर विकास का मार्ग प्रशस्त करेगी। उरांव ने कहा कि झारखंड का इतिहास संघर्षों से रचा बसा हुआ है। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के पहले ही आदिवासी समाज ने अपनी परंपरा और विरासत की रक्षा को लेकर अंग्रेजो के खिलाफ संघर्ष किया, जिसके परिणाम स्वरूप एसपीटी और सीएनटी कानून बनाया गया। उन्होंने कहा आदिवासी हूं या गैर आदिवासी सिद्धू कान्हू सबके लिए आदरणीय थे। आदरणीय हैं और आदरणीय रहेंगे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार गठन के बाद जनजातीय समाज के विकास के लिए सरकार ने कदम उठाए हैं। मौके पर विधायक बंधु तिर्की ने भी सिद्धू कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। हिन्दुस्थान समाचार/कृष्ण

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