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हेमंत सरकार ने पूर्व सरकार की नियोजन नीति को वापस लेकर युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया: मेयर

रांची, 04 फरवरी (हि.स.)। रांची नगर निगम की मेयर आशा लकड़ा ने कहा है कि हेमंत सरकार ने पूर्व सरकार की नियोजन नीति को वापस लेकर राज्य के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। चूंकि यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए राज्य सरकार को नियोजन नीति के तहत की गई नियुक्तियों को निरस्त करने से पूर्व सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए था। लकड़ा ने गुरुवार को राज्य सरकार के इस निर्णय पर कहा कि राज्य सरकार के इस निर्णय से नियुक्ति पत्र प्राप्त कर चुके अभ्यर्थियों में आक्रोश उत्पन्न हो गया है। अब सवाल यह उठता है कि वर्तमान राज्य सरकार के माध्यम से की जाने वाली नियुक्तियों के प्रति राज्य के युवाओं को तनिक भी भरोसा नहीं रह गया है। राज्य के युवाओं को सिर्फ नौकरी ही नहीं, नौकरी की गारंटी भी मिलनी चाहिए। मेयर ने यह भी कहा कि पूर्व सरकार की नियोजन नीति के तहत जिन अभ्यर्थियों ने आवेदन कर जिला स्तर पर नियुक्ति पत्र प्राप्त किए हैं, अब वे बेरोजगारों की कतार में खड़े नजर आएंगे। जिस माता-पिता को अपने बेटे-बेटियों को सरकारी नौकरी मिलने पर गर्व था। राज्य सरकार के इस निर्णय से उनका सिर झुका चुका है। क्या यह इस राज्य की विडंबना है कि सत्तारूढ़ पार्टी के राजनेता पूर्व की सरकार में बनाई गई नीतियों को रद्द करते रहें और पुनः राज्य के युवाओं को सरकारी नौकरी का सब्जबाग दिखाकर उन्हें चलते रहे। यदि वर्तमान राज्य सरकार इस राज्य के युवाओं का भविष्य संवार नहीं सकती तो उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का भी कोई अधिकार नहीं है। मेयर ने निशाना साधते हुए कहा कि यदि राज्य सरकार के पास कोई स्पष्ट नीति नहीं है तो खुलकर यह घोषणा कर दें कि वे इस राज्य के युवाओं को सरकारी नौकरी देने में अक्षम हैं, ताकि इस राज्य के युवा अपने ही राज्य में नौकरी पाने की उम्मीद छोड़ अन्य विकल्पों पर विचार करें। राज्य सरकार को यह जानकारी होनी चाहिए कि सरकारी नौकरी के लिए उम्र सीमा भी निर्धारित होती है। वर्तमान सरकार ने जिन अभियर्थियों की नियुक्ति को निरस्त किया है, उनमे से कई को नियुक्ति पत्र भी मिल चुके हैं। अब वे राज्य सरकार की नई नियुक्ति प्रक्रिया के तहत निर्धारित मापदंडों को पूरा कर पाएंगे या नहीं, इसकी क्या गारंटी है। मेयर ने राज्य सरकार से प्रश्न किया है और उसका जवाब भी मांगा है। उन्होंने पूछा है कि सरकार ने एसएलपी में कहा है कि राज्यपाल को आर्टिकल 244(i) आर्टिकल 309 के तहत यह अधिकार है कि वह नोटिफिकेशन जारी कर सकती हैं। यह नोटिफिकेशन शिड्यूल्ड एरिया के उत्थान के लिए किया गया है। फिर इस नोटिफिकेश को वापस लेना कहीं ऐसा तो नहीं है कि राज्यपाल की शक्तियों पर प्रश्नचिन्ह लगाया जा रहा है। सरकार ने एसएलपी में कहा है कि यह नोटिफिकेशन शिड्यूल्ड एरिया के उपलिफ मेन्ट के लिए है। क्या अब इस नोटिफिकेशन को वापस लेकर राज्य सरकार शिड्यूल्ड एरिया के विकास को बाधित करना चाहती है। शिड्यूल्ड एरिया के लोगों के हित के लिए बनाए गए इस नोटिफिकेशन को वापस लेने का क्या औचित्य क्या है। इसके अलावा उन्होंने कई सवाल किया है। हिन्दुस्थान समाचार/कृष्ण-hindusthansamachar.in

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