concerns-over-the-closure-of-schools-and-colleges-during-the-korana-era
concerns-over-the-closure-of-schools-and-colleges-during-the-korana-era

कोराना काल में स्कूलों और कॉलेजों के बंद होने पर जताई चिंता

रांची, 09 अप्रैल (हि.स.)। प्राइवेट स्कूल्स एण्ड चिल्ड्रेन वेलफेयर ऐसोसिएशन (पासवा) के प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने कहा कि कोरोना काल में सबसे पहला प्रहार स्कूलों और कॉलेजों पर ही क्यों होता है। उन्होंने कहा कि स्कूलों के खिलाफ अलग से माहौल तैयार किया जा रहे है जो चिंता का विषय है। दूबे ने शुक्रवार को कहा कि झारखंड का एजुकेशन सेक्टर बंदी की मार झेलकर तबाही के कगार पर है। स्कूल, कॉलेज, कोचिंग संस्थान सबसे पहले बंद कर दिये जाते हैं। राजधानी रांची सहित धनबाद, जमशेदपुर, हजारीबाग, पलामू, देवघर, बोकारो, संथालपरगना जैसे शहरों के निजी शिक्षण संस्थानों में सन्नाटा पसरा हुआ है। पिछले मार्च से लेकर अब तक लॉकडाउन की मार सबसे ज्यादा निजी शिक्षण संस्थानों पर पड़ी है। कई निजी स्कूल तो बंद हो गये हैं और कई बंदी के कगार पर खड़े हैं। उन्होंने कहा कि स्कूल, कॉलेज, कोचिंग बंद होने से इससे जुड़े लाखों की आजीविका तबाह हुई है। कोरोना से बचाव बेहद जरूरी है पर जैसे अन्य सेक्टर बचाव करते हुए खुले हैं, वैसे ही सावधानी बरते हुए निजी शिक्षण संस्थानों को चलाने का भी कोई मार्ग निकाला जाना चाहिए ताकि विद्यार्थियों के भविष्य को बर्बाद होने से बचाया जा सके। दूबे ने कहा कि 20 हजार से अधिक निजी विद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं मिल रही है। उनके समक्ष भूखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। हिन्दुस्थान समाचार/ कृष्ण/चंद्र

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in