(अपडेट)  28 हत्याओं के आरोपित जिदन गुड़िया पर कई जिलों के थानों में दर्ज हैं 129 मामले
(अपडेट) 28 हत्याओं के आरोपित जिदन गुड़िया पर कई जिलों के थानों में दर्ज हैं 129 मामले

(अपडेट) 28 हत्याओं के आरोपित जिदन गुड़िया पर कई जिलों के थानों में दर्ज हैं 129 मामले

खूंटी, 22 दिसम्बर (हि.स.)। पिछले 15-16 वर्षों तक खूंटी से ओडिशा की सीमा तक आतंक का एकछत्र राज्य कायम करने वाले खूंखार और 15 लाख का इनामी उग्रवादी जिदन गुड़िया अंततः 21 दिसंबर को मुरहू थाना के कायंसेरा जंगल में पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया। डेढ़ दशक तक पुलिस की नाकों में दम करने वाले इस दुर्दांत नक्सली का खौफ पूरे क्षेत्र में किस प्रकार का था, उसका अनुमान सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता था, कि लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा अथवा पंचायत चुनाव, जीदन की इजाजत के बिना किसी प्रत्याशी या कार्यकर्ता की हिम्मत रनिया, तोरपा, मुरहू, बंदगांव, कर्रा, कमडारा, सहित अन्य इलाकों में घुसने की नहीं थी। भले ही पुलिस या राजनीतिक नेता इस बात से इनकार करें, पर क्षेत्र के चुनाव को प्रभावित करने की क्षमता जीदन में थी। बता दें कि जीदन की पहली पत्नी रीता गुड़िया 2010 से 2015 तक तपकारा पंचायत की मुखिया थी। उसकी दूसरी पत्नी इस समय खूंटी जिला परिषद की अध्यक्ष है। जीदन मूल रूप से खूंटी जिले के तपकारा थाना क्षेत्र के कोचा करंजटोली गांव का रहने वाला था। अपने को सुरक्षित रखने के लिए वह कई सामाजिक कार्य भी करता रहता था। कभी मेडिकल कैंप लगाना, तो कभी गरीबों के बीच धोती-साड़ी, कंबल आदि का वितरण कराना। जीदन के खिलाफ राज्य के खूंटी, रांची, गुमला, सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम, लोहरदगा सहित अन्य कई जिलो के विभिन्न थानों में हत्या, लूट, अपहरण, रंगदारी, पुलिस के साथ मुठभेड़ सहित अन्य संगीन मामलों को लेकर 129 मामले दर्ज हैं। अपने चार भाइयों में जीदन दूसरे नंबर पर था। उसके तीन अन्य भाई गांव में ही खेती-बारी करते हैं। किसी की समस्या होने पर वह उसका निराकरण भी करता था। लोगों में उसका खौफ इस प्रकार था कि किसी विवाद के निपटारे के लिए लोग पुलिस के पास नहीं, जीदन के पास जाते थे। प्रतिबंधित नक्सली संगठन पीएलएफआई में उसका काफी दबदबा था। संगठन के सुप्रीमो दिनेश गोप भी उसके फैसले को आखिरी फैसला मानता था। उसके मारे जाने के बाद संगठन को काफी झटका लगा है। परिजनों की बातों पर भरोस करें, तो वह बहुत जल्द आत्मसमर्पण कर विधानसभा चुनाव लड़ना चाहता था, पर किस्मत ने साथ नहीं दिया। मृतक जिदन गुडिया के बड़े भाई बोंदले गुड़िया ने बताया कि गुडिया ने बताया कि जीदन बचपन में तपकारा के हाई स्कूल में पढ़ाई करता था। पढ़ाई छोड़कर वह खेती बारी करने लगा। कुछ दिनों के बाद वह रनिया में दर्जी का काम करने लगा। उसकी सिलाई काफी अच्छी थी, इसके कारण उसकी दुकान पर हमेशा भीड़ लगी रहती थी। उसी दौरान उसका संपर्क झारखंड जिबरेशन टाइगर्स(जेएलटी) से हुआ। बाद में जेएलटी का नाम बदल कर 2007 में पीएलएफआइ हो गया। जीदन संगठन से पूरी तरह जुड़ गया। जानकारी के अनुसार मां-पिता की मौत के बाद भी जिदन अपने घर नहीं आया था। पीएलएफआइ सुप्रीमो दिनेश गोप के बाद संगठन में दूसरे नंबर पर स्थान रखने वाले जिदन गुड़िया के खिलाफ 34 साल की उम्र में कुल 129 कांडों को अंजाम देने का आरोप था। रांची, खूंटी, चाईबासा सहित अन्य जिलों में सक्रिय जीदन गुड़िया के खिलाफ 28 हत्याओं को अंजाम देने का आरोप है। तपकरा, रनिया, मुरहू, बंदगांव इलाके में ग्रामीणों के बीच छोटी मोटी मदद पहुंचाने के कारण वह ग्रामीणों के बीच काफी लोकप्रिय भी था। ऐसे में कई बार पुलिस के गतिविधियों की सूचना जीदन गुड़िया को मिल जाती थी और वह पुलिस के हाथों बच निकलता था। बताया जाता है कि जिदन गुड़िया को राजनीति में आने का शौक था। जिदन ने खुद फरार होने की वजह से अपनी दोनों पत्नियों को राजनीति में आगे किया। पहली पत्नी रीता गुड़िया को तपकारा पंचायत का मुखिया बनवाया और दूसरी को जिला परिषद का अध्यक्ष। हाल के दिनों में पीएलएफआई के खिलाफ पुलिस की दबिश लगातार बढ़ रही थी। संगठन के एके 47 समेत कई हथियार पुलिस ने जब्त किए थे। हथियारों की सप्लाई का नेटवर्क भी ध्वस्त होने लगा था। ऐसे में जीदन गुड़िया ने मुरहू में अवैध हथियार फैक्टरी खोल ली थीए जहां घातक हथियार स्वयं अपनी मॉनिटरिंग में बनावाता था। शौर्य चक्र से नवाजे गए प्रकाश रंजन मिश्रा की गोली से जीदन गुड़िया मारा गया उल्लेखनीय है कि खूंटी जिले के मुरहू थाना क्षेत्र में सोमवार की सुबह पुलिस के साथ मुठभेड़ में पीएलएफआई का 15 लाख का इनामी जोनल कमांडर जिदन गुड़िया मारा गया था ।पुलिस ने घटनास्थल से एक एके.47 रायफल और गोलियों समेत कई सामान बरामद किये थे। छह बार राष्ट्रपति पदक और एक बार शौर्य चक्र से नवाजे गए प्रकाश रंजन मिश्रा की गोली से जीदन गुड़िया मारा गया। झारखंड में नक्सलियों के खात्मे के लिए लगातार ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं। नक्सलियों और उग्रवादियों से झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ का लगातार मुठभेड़ होता रहता है। लेकिन बावजूद इसके नक्सली और उग्रवादी एक सीआरपीएफ अधिकारी के नाम से दहशत में रहते हैं। उस अधिकारी का नाम है प्रकाश रंजन मिश्र। उन्हें एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहा जाता है। अभी नक्सल प्रभावित जिला खूंटी में सीआरपीएफ 94 में द्वितीय कमान अधिकारी के पद पर तैनात हैं। जीदन के साथ हुई मुठभेड़ में पुलिस टीम का लीड एनकाउंटर स्पेशलिस्ट मिश्र ही कर रहे थे। वह खूंटी के एएसपी अभियान रहते हुए सातवीं बार वीरता के पुलिस पदक से सम्मानित किये गये। देश के सुरक्षा बलों के इतिहास में किसी एक अधिकारी को मिलने वाले वीरता के सर्वाधिक पुलिस पदक हैं। झारखण्ड और छतीसगढ़ में तैनात हर सुरक्षाकर्मी, जो नक्सल मोर्चे पर डटा हुआ है, पीआर मिश्रा को अपना आइडियल मानता है। प्रकाश रंजन असमए त्रिपुराए जम्मू.कश्मीर और ओडिशा जैसे राज्यों में भी अपनी सेवा दे चुके हैं। 18 सितंबर 2012 को झारखंड के चतरा जिले के राबदा गांव में सीआरपीएफ और माओवादियों के बीच भीषण मुठभेड़ में प्रकाश रंजन मिश्रा को 6 गोलियां लगीं थी। घायल होने के बावजूद पीछे नहीं हटे और नक्सलियों को तबाह कर दिया। इनके जिस्म में नौ स्पिलंटर लगे हैं। पीआर मिश्रा अब तक 317 नक्सलियों और उग्रवादियों को गिरफ्तार कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने इंसासए एके 47 जैसे 116 हथियारों की बरामदगी की हैं। सरना रीति रिवाज से हुआ अंतिम संस्कार मारे गये उग्रवादी जीदन का अंतिम संस्कार मंगलवार को उसके पैतृक गांव कोचा करंजटोली में सरना रीति रिवाज के अनुसार हुआ। अंतिम संस्कार के दौरान उसकी पत्नी खूंटी जिला परिषद की अध्यक्ष जुनिका गुड़िया सहित कई लोग मौजूद थे। जीदन के शव का पोस्टमार्टम 21 दिसंबर को रात में ही कराया गया। पोस्टमार्टम के बाद जिदन की पत्नी जुनिका गुड़िया और भाई नेलशन को पुलिस ने शव सौंप दिया था। हिन्दुस्थान समाचार/अनिल-hindusthansamachar.in

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