स्कूलों को खोलने के फैसले को तुरंत वापस ले सरकार: पेरेंट्स एसोसिएशन
स्कूलों को खोलने के फैसले को तुरंत वापस ले सरकार: पेरेंट्स एसोसिएशन

स्कूलों को खोलने के फैसले को तुरंत वापस ले सरकार: पेरेंट्स एसोसिएशन

जम्मू, 20 सितंबर (हि.स.)। पेरेंट्स एसोसिएशन जम्मू ने सरकार के स्कूलों को खोलने के फैसले को तत्काल प्रभाव से वापिस लेने की रविवार को मांग की और कहा है कि इस फैसले की आड़ में जिस प्रकार से बच्चों के अभिभावकों से एक फार्म भरवाया जा रहा है उसका सीधा-सीधा अर्थ यह है कि स्कूल में अगर बच्चे के साथ कुछ भी होता है तो उसका जिम्मेदार स्कूल प्रबंधन या सरकार नहीं बच्चे के अभिभावक होंगे। इस बारे में पत्रकारों से बात करते हुए एसोसिएशन के अध्यक्ष अमित कपूर ने कहा कि हालांकि स्कूलों द्वारा अभिभावकों को फार्म भरने को दिया गया और अधिकतर पढ़े लिखे अभिभावकों ने उस पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में जहां पर अभिभावक अंग्रेजी पढ़ना या बोलना अधिक नहीं जानते हैं वहां पर स्कूलों द्वारा उनसे बिना भरे ही फार्म पर हस्ताक्षर करवाएं जा रहे हैं जबकि अभिभावक को यह तक पता नहीं है कि उस फार्म को भरकर वो कोरोना संबंधी होने वाली किसी भी घटना को लेकर स्कूल प्रबंधन पर कोई कलेम नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में हमारी सभी आभिभावकों से अपील है कि वो स्कूल द्वारा दिए जाने वाले किसी भी फार्म को न भरें क्योंकि यह फार्म नहीं आप अपने हाथ काटकर स्कूलों को दे रहे हैं। उन्होंने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से भी अपील की है कि इस संकट के समय में आखिर कौन सी ऐसी बात हो गई कि मात्र जम्मू कश्मीर में ही स्कूलों को खोला जा रहा है। क्या यह निर्णय बच्चों के लिए जानलेवा साबित नहीं होगा। ऐसे में हमारी मांग है कि इस निर्णय को वापिस लिया जाए। इसके साथ ही उन्होंने जम्मू कश्मीर प्रशासन से यह भी मांग की कि अगर प्रशासन केंद्र की सहमति से राज्य के उद्यमियों और व्यापारियों को बिजली व पानी के बिलों में एक साल तक की पचास फीसदी तक की छूट दे सकता है तो क्या प्रशासन एक साल के लिए बच्चों के स्कूलों की फीस को माफ नहीं करता हैं। उन्होंने कहा कि हम प्रशासन ने ध्यान में यह भी लाना चाहते हैं कि स्कूल भले ही अब एडमिशन फीस नहीं मांग रहे जबकि सरकार के कालेज व निजी कालेज मोटी एडमिशन फीस बच्चों से वसूल चुके हैं और वसूल कर भी रहे हैं क्या इन बच्चों पर या इनके अभिभावकों पर कोरोना का कोई साया नहीं था। क्या कालेज में पढऩे वाले हर बच्चे के माता पिता आर्थिक रूप से संपन्न हैं जो उन्हें एडमिशन फीस से राहत नहीं दी गई। हिन्दुस्थान समाचार/अमरीक/बलवान-hindusthansamachar.in

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