विजय दिवस की 49वीं वर्षगांठ पर धु्रवा शहीदी स्मारक पर शहीदों को दी गई श्रद्धाजंलि
विजय दिवस की 49वीं वर्षगांठ पर धु्रवा शहीदी स्मारक पर शहीदों को दी गई श्रद्धाजंलि

विजय दिवस की 49वीं वर्षगांठ पर धु्रवा शहीदी स्मारक पर शहीदों को दी गई श्रद्धाजंलि

उधमपुर, 16 दिसम्बर (हि.स.)। विजय दिवस की 49वीं वर्षगांठ बुधवार को उत्तरी कमान मुख्यालय में पारंपरिक उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर आयोजित समारोह में बड़ी संख्या में पूर्व सैनिकों और सेवा कर्मियों ने भाग लिया। इस दौरान उन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध में अपने प्राण न्यौछावर किए। इस अवसर पर उत्तरी कमान मुख्यालय में स्थित धु्रवा शहीदी समारक में आयोजित श्रद्धाजंलि समारोह में उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल वाई.के जोशी द्वारा शहीदों को श्रद्धाजंलि देने के साथ इस अवसर की सराहना की। उन्होंने 1971 के युद्ध में प्रमुख सैन्य जीत हासिल करने में भारतीय सशस्त्र बलों की भूमिका पर प्रकाश डाला। भारत के इतिहास में यह शानदार दिन युद्ध के दौरान हमारे बहादुर सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान के कारण संभव हुआ। भारतीय सेना ने अपने अदम्य साहस, समर्पण और व्यावसायिकता के साथ इतिहास का पाठ्यक्रम बदल दिया, जिससे राष्ट्र को गौरव और सम्मान मिला। राष्ट्र के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले सभी बहादुरों को याद करते हुएए उत्तरी कमान के सभी रैंकों ने उनके परिवारों के प्रति दृढ़ और आजीवन प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उनका अदम्य साहसए अप्रभावित उत्साह और दृढ़ निश्चय हमेशा भारतीय सेना के सभी रैंकों के लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत होगा। प्रत्येक वर्ष, 16 दिसम्बर को पाकिस्तान पर भारत की ऐतिहासिक जीत के उपलक्ष्य में विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पाक पर सबसे बड़ी सैन्य जीत इतिहास में दर्ज की गई थी। इस दिन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण ढाका में हुआ था, जब पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा ने 93000 पाकिस्तानी सैनिकों के आत्मसमर्पण को पाकिस्तानी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी से स्वीकार कर लिया था। यह ऐतिहासिक जीत एक अनोखे करतब का संकेत देती है, जिसमें हमारी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान के लोगों और एक संप्रभु और स्वतंत्र बांग्लादेश के निर्माण की मुक्ति के न्यायपूर्ण और नेक काम के लिए निःस्वार्थ रूप से लड़ाई लड़ी थी। हिन्दुस्थान समाचार/रमेश/बलवान-hindusthansamachar.in

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