तारों की छांव में रावि-तवी नहर में महिलाओं ने किए हजारों दीप विसर्जित
कठुआ, 30 नवंबर (हि.स.)। पिछले 5 दिन देवोत्थान एकादशी से लेकर आज कार्तिक पूर्णिमा तक यहां -त्योहारों का सिलसिला चलता रहा। इस सिलसिले में आज प्रातः काल ठंड को दरकिनार करते हुए सोमवार को भीष्म पंचम के अंतिम दिन के शुरुआती पहर ( तारों की छांव ) में हजारों दीप प्रज्वलित करने खासकर महिलाएं स्थानीय रावि-तवी नहर के इर्द-गिर्द एकत्रित हुई। जिससे यहां का वातावरण भक्ति में हो गया। प्रातः काल को नहर के तट पर हजारों की संख्या में महिलाओं ने स्नान करके अन्न,द्रव्य व फलदान किया। बुजुर्ग महिलाओं ने नहर के किनारे आकर जलधारा में डुबकी लगाकर दीपों को बहते हुए पानी में विसर्जित किया। एक साथ नहर के ठंडे पानी पर हजारों दीप बहने के लिए छोड़े गए, तो बहता हुआ जल का सारा वातावरण दीपमय हो गया। पहले पांच दिनों तक घरों में भगवान की आराधना स्वरूप जले इन अखंड दीपों का पानी में विसर्जन देखकर अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा था कि पर्व-त्योहार मना रहे लोग कठुआ की नहर के किनारे एकत्रित हुए हैं या कुंभ मेले के दौरान हरिद्वार स्थित हर-की-पौड़ी तट पर। उल्लेखनीय है कि सनातन हिंदू धर्म के अनुसार एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक निभाए जाने वाले व्रत को भीष्म पंचम के स्वरूप में मनाया जाता है। इस दौरान लगातार पांच दिनों तक धार्मिक आस्था रखने वाले लोग अपने घरों में अखंड-दीप के माध्यम से भगवान श्री नारायण की आराधना करते हैं। इससे पूर्व नगर के सभी मंदिरों में एक माह पूर्व शुरू हुई कार्तिक मास की माहात्म्य कथा का भोग डाला गया। कथा समाप्ति के बाद महिलाओं ने तुलसी माता तथा पीपल के पेड़ की पूजा की। उधर प्रातः काल लगभग 3रू30 - 4रू00 बजे ही रावि-तवी नहर के तट पर महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ना शुरू हो गई थी,जो अपने हाथों में 108 अखंड दीप और पूजा का अन्य सामान लिए वहां पहुंची। गौरतलब है कि सनातन धर्म की परंपरा के अनुसार कार्तिक मास में सुबह तारों की छांव में स्नान करने के बाद कार्तिक माहात्म्य की कथा का श्रवण करने और तुलसी माता की पूजा करने से मोक्ष मिलता है। हिन्दुस्थान/समाचार/सचिन/बलवान-hindusthansamachar.in