जम्मू कश्मीर राजभाषा बिल में पंजाबी भाषा को शामिल न किए जाने पर कठुआ में सिख समुदाय ने किया प्रदर्शन
जम्मू कश्मीर राजभाषा बिल में पंजाबी भाषा को शामिल न किए जाने पर कठुआ में सिख समुदाय ने किया प्रदर्शन

जम्मू कश्मीर राजभाषा बिल में पंजाबी भाषा को शामिल न किए जाने पर कठुआ में सिख समुदाय ने किया प्रदर्शन

कठुआ, 4 सितंबर (हि.स.)। बीते दिनों केंद्रीय कैबिनेट द्वारा जम्मू-कश्मीर राजभाषा विधेयक को मंजूरी दिए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में अब सिर्फ 5 भाषा जिसमें कश्मीरी, डोगरी, हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी आधिकारिक भाषाएं शामिल की हैं। वही पंजाबी भाषा को शामिल ना किए जाने को लेकर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी कठुआ के बैनर तले सिख समुदाय ने पंजाबी भाषा को भी जम्मू-कश्मीर की अधिकारिक भाषा की सूची में शामिल करने की मांग की है। वहीं गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष चरणजीत सिंह ने कहा के इस देश के पंजाबी भाषा जम्मू कश्मीर की धारा 370 विशेष स्थिति को समाप्त किए जाने से पहले जहंा के संविधान का हिस्सा थी। उन्होंने कहा कि यह अल्पसंख्यक विरोधी निर्णय है, जिसमें भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में शामिल पीएमओ डॉ जितेंद्र सिंह ने पंजाबी भाषा के खिलाफ इस कदम के लिए बराबर जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि इस कदम से लाखों पंजाबी भाषी लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है। पंजाबी भाषा को आधिकारिक भाषाओं की सूची से बाहर करना केंद्र सरकार का अतिवादी कदम है। उन्होंने कहा कि इस कदम से कठुआ में ही नहीं बल्कि पूरे देश में पंजाबी भाषा बोलने वाले लोगों में आक्रोश है। उन्होंने कहा कि पंजाबी भाषा ना केवल पंजाब की मुख्य भाषा है बल्कि इस भाषा को कनाडा और ब्रिटेन जैसे देशों में भी मान्यता प्राप्त है, लेकिन अपने ही देश में भाजपा की सरकार ने इस शर्मनाक काम पर कर दिया है। उन्होंने चेतावनी देते हुए केंद्र सरकार को कहा कि जिस प्रकार जम्मू-कश्मीर में पांच भाषाओं में स्थानीय भाषाओं कश्मीरी, डोगरी के साथ ही हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू को रखा गया है उसी प्रकार पंजाबी भाषा को भी जम्मू कश्मीर राज्य की आधिकारिक भाषा में शामिल किया जाए नही ंतो उग्र प्रदर्शन करेंगे। हिन्दुस्थान समाचार/सचिन/बलवान-hindusthansamachar.in

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