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कोर्ट बार रूम में आयोजित पत्रकार वार्ता को लेकर वकीलों के दो गुट आपस में भिड़े, कठुआ एडवोकेटस एसोसिएशन नामक नई कमेटी का हुआ गठन

कठुआ, 9 अप्रैल (हि.स.)। जिला कोर्ट परिसर में वकीलों के दो गुट आमने-सामने हो गए। कठुआ कोर्ट बार रूम में आयोजित एक पत्रकार वार्ता को लेकर वकीलों के दो गुट आपस में भिड़ गए। इसके बाद एक गुट ने नई इकाई का गठन कर दिया। इसके प्रधान की जिम्मेवारी एडवोकेट राजेंद्र जालम को सौंपी गई। पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए एडवोकेट कीर्ति भूषण ने कहा कि एडवोकेट अजातशत्रु के अध्यक्ष पद के कार्यकाल के दौरान वेलफेयर फंड में गड़बड़ की गई है। जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में पील दायर की गई है। उन्होंने कहा कि आज उन्होंने पत्रकार वार्ता बार रूम में रखी थी, लेकिन कुछ वकीलों द्वारा उनके साथ अभद्र व्यवहार किया गया जिसके चलते वह अलग इकाई बनाने को मजबूर हुए हैं। पत्रकारों को संबोधित करते हुए एडवोकेट कीर्ति भूषण ने बताया कि कठुआ में विभिन्न न्यायालयों में सक्रिय अभ्यास में वरिष्ठ अधिवक्ताओं का नेतृत्व करने और महत्वपूर्ण हितों की रक्षा के लिए अलग से एक एसोसिएशन तैयार की है। कठुआ एडवोकेटस एसोसिएशन नामक गठित कमेटी में राजेंद्र शर्मा, मनविंद्र सलाथिया, सुशील कुमार गुप्ता, अरविंद कुमार गुप्ता, कीर्ति भूषण महाजन, निधि सुदन, राकेश शर्मा, विकास कांत गुप्ता, सुभाष शर्मा, दुष्यंत कुमार, रजनी कांत शर्मा, बाईसी कटोच, को नई गठित कमेटी में शामिल किया गया है। एडवोकेट कीर्ति भूषण ने कहा कि अजातशत्रु शर्मा गलत तरीके से अन्य सदस्यों के साथ गलत व्यवहार करते हैं। इसी के साथ उन्होंने एडवोकेट्स वेलफेयर फंड में जमा किए गए धन का गवन और दुरुपयोग किया है, जिसका खाता जेके बैंक शाखा में खोल रखा हुआ है। उन्होंने बताया कि अजातशत्रु शर्मा और उनकी टीम के कुछ सदस्यों कार्यकारी निकाय ने गलत तरीके और सामान्य अपराधिक उद्देश्य के अनुसरण में एक दूसरे के साथ आपराधिक साजिश रची। जिसमें 18 मई 2020 को बार एसोसिएशन कठुआ के तीन सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित करके अधिवक्ता कल्याण निधि के प्रावधानों के अधिदेश का पालन करते हुए संचालित करने के लिए अपने अधिकार स्वयं ग्रहण किया और एडवोकेट वेलफेयर फंड एक्ट 2001 के तहत खाता खोला गया और इसमें दो लाख से अधिक के रुपयों को निकाला गया और ज्ञात लाभार्थियों और कुछ अन्य प्रविष्टियों के पक्ष में पैसा दिया गया जिसकी उनके पास डिटेल है। उन्होंने कहा कि बार एसोसिएशन कठुआ की तत्कालीन कार्यकारी समिति के सदस्यों की अपने ही कुछ साथियों को उस राशि के लिए लाभार्थी बनाया गया उन्होंने कहा कि जिस वक्त उन्होंने अध्यक्ष पद छोड़ा था तो उस वक्त छह लाख के करीब खाते में पैसे पड़े थे। लेकिन लगभग 2 वर्ष के कार्यकाल में अजातशत्रु ने मात्र 43000 की राशि जमा कराई है। उन्होंने बताया कि वकालतनामों की बिक्री पर 10 रूपए एक वकालतनामा के एडवोकेट्स वेलफेयर फंड में जमा कराए जाते हैं जिसका अजातशत्रु ने दुरुपयोग किया है और मात्र 43 हजार जमा करवाया है। उन्होंने बताया कि इस मामले को लेकर 18 मार्च को भारत के सर्वोच्च न्यायालय को शिकायत की है और उक्त शिकायत पर भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया और इसके परिणाम स्वरूप भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने बहुत विनम्रता से 8 अप्रैल को उक्त शिकायत को जनहित याचिका माना गया और मामले की शिकायतों को स्वीकार कर लिया गया। उन्होंने बताया अजातशत्रु बार एसोसिएशन कठुआ के वर्तमान पदाधिकारी पर गबन के गंभीर आरोप हैं जिसमें धोखाधड़ी जालसाजी आदि के लिए उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान है। हिन्दुस्थान/समाचार/सचिन/बलवान

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