श्रीसनातन धर्म सभा द्वारा जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन-एकात्मता सप्ताह के कार्यक्रमों का शुभारंभ
श्रीसनातन धर्म सभा द्वारा जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन-एकात्मता सप्ताह के कार्यक्रमों का शुभारंभ

श्रीसनातन धर्म सभा द्वारा जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन-एकात्मता सप्ताह के कार्यक्रमों का शुभारंभ

जम्मू, 25 जुलाई (हि.स.) । जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन-एकात्मता सप्ताह का शुभारंभ गु़रुवार को श्री सनातन धर्म सभा गीता भवन में एक कार्यक्रम आयोजित कर किया गया। 31 जुलाई को आतंकवादियों द्वारा जिनकी हत्या की गई है ऐसे शहीदों को श्रद्धांजलि दी जायेगी। 1 अगस्त को सरहद की रक्षा करते हुए शहीद हुए सैनिकों व समाज की सेवा करते हुए शहीद हुए सुरक्षाबलों को श्रद्धांजलि दी जायेगी। 2 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के पनुर्गठन के बाद समाज को जो लाभ हुआ उसकी चर्चा होगी। 3 अगस्त को पश्चिमी पाक से आये हुए शरणार्थियों, गोरखा समाज और वाल्मीकी समाज को जो 70 सालों तक मानव अधिकारों से वंचित रखा गया और अब उन्हें न्याय मिला उस पर चर्चा होगी। 4 अगस्त को पाकिस्तान और चीन के कब्जे वाली भारतीय भूमि को वापस लेने का संकल्प लिया जायेगा। 5 अगस्त को एकात्मता दिवस मनाया जायेगा। इस दिन अपने-अपने घरों, कार्यालयो, मोहल्लों व प्रतिष्ठानों में तिरंगा फहराया जायेगा और रात को दीपक जलाये जायेंगे। इस मौके पर श्री सनातन धर्म सभा के तत्वाधान में सभा के सदस्यों, पदाधिकारियों एवं वरिष्ठ नागरिकों ने अपने-अपने विचार रखे। जम्मू कश्मीर के भारत में विलय को लेकर जो संघर्ष हुए, उनका स्मरण किया गया और किस प्रकार 73 वर्षे तक जम्मू-कश्मीर के राष्ट्रभक्त समाज को ठगा गया और केन्द्र में बैठी हुई सरकारों ने विलय के विषय को लेकर सारे राष्ट्र को छलावे में रखा, इस पर भी चर्चा की गई। डा. श्यामा प्रसाद मुकर्जी तथा अन्य सभी बन्धु जो विलय के प्रश्न को लेकर बलिदान हुए उनका वो बलिदान बेकार न जाये इसके लिए भावी पीढ़ियों को आह्वान किया गया कि वो भी अपने पूर्वजों की भांति राष्ट्र की एकता और अखण्डता को बनाये रखने के लिए प्रत्येक प्रकार के बलिदान के लिए तैयार रहें। सभा के महामंत्री प्रभात सिंह, उपप्रधान श्री शक्तिदत्त शर्मा, श्री अरूण महाजन, मंत्री श्री पवन बड्डू ने अलग-अलग विषयों पर अपने-अपने विचार रखे। सभा के प्रधान पुरूषोत्तम दधीचि ने सभी का धन्यवाद करते हुए आह्वान किया कि 5 अगस्त को अपने-अपने घरों पर तिरंगा फहरा कर रात्रि को दीपक जलायें। उन्होंने 73 वर्षों के इस कालखण्ड में धर्म के आधार पर हुए भेदभाव तथा अत्याचारों का वर्णन किया तथा समानांतर प्रशासन में सक्रिय ऐसी राष्ट्रविरोधी शक्तियों को आगह किया कि अब जम्मू-कश्मीर का राष्ट्र भक्त समाज यह सब सहन नहीं करेगा। इस अवसर पर सभा में शुरू किए गए पुस्तकालय के लिए समाज से आह्वान किया गया कि ऐतिहासिक, धार्मिक व संस्कृति से जुड़ी पुस्तकें पुस्तकालय को भेंट करें ताकि सम्पूर्ण समाज इसका लाभ उठा सके। इस मौके पर कुलभूषण महोत्रा ने जम्मू-कश्मीर के इतिहास व संघर्ष से जुड़ी कुछ पुस्तकें भेंट कर इस पवित्र कार्य की शुरूआत की जिनका सभा के पदाधिकारियों द्वारा धन्यवाद भी किया गया। हिन्दुस्थान समाचार/बलवान-hindusthansamachar.in

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