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स्कूल खुलते ही अभिभावकों की चिंता बढ़ी, लाॅकडाउन की पूरी फीस जमा करवाने के लिए किया जा रहा है परेशान, इस मुद्दे पर कोई भी राजनीतिक पार्टी, सामाजिक संस्था या समाजसेवी नहीं आ रहे हैं आगे

कठुआ, 12 फरवरी (हि.स.)। जहां एक तरफ पिछले 10 महीने से कोरोना महामारी के चलते निजी व सरकारी स्कूल बंद पड़े थे, वहीं अब ठीक 10 महीने के बाद निजी व सरकारी स्कूलों को पूरी तरह से खोलने की अनुमति दे दी गई है। जिला कठुआ में निजी व सरकारी स्कूल पूरी तरह से खुल चुके हैं। सुबह दोपहर स्कूली बच्चों की चहल-पहल है। जहां एक तरफ निजी शिक्षण संस्थान पूरी तरह से खोल दिए गए हैं वहीं दूसरी तरफ निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों की चिंता बढ़ चुकी है। दरअसल बीते 10 महीने में स्कूल बंद थे और ऑनलाइन शिक्षा चल रही थी। लेकिन पिछले 10 महीने से कोरोना महामारी के चलते बहुत से बच्चों के अभिभावकों ने बच्चों की स्कूल की फीस जमा नहीं करवाई थी। अब स्कूल पूरी तरह से खुल गए हैं और अभिभावकों के लिए इकट्ठी फीस जमा करवाना बहुत बड़ी चिंता का पहाड़ बन गया है। जिस प्रकार कोरोना महामारी के चलते सब बंद था, इसी में कई लोगों के कामकाज ठप पड़ गए, कई लोगों की नौकरियां भी चली गई। लेकिन अब उन अभिभावकों के लिए बीते 10 महीनों की फीस देना राई का पहाड़ बन गया है। अभिभावकों ने स्कूल और अपने बच्चे का नाम ना बताने की शर्त पर बताया कि जैसे ही निजी स्कूल खुले हैं वैसे ही स्कूल प्रशासन बच्चों को पिछले 10 महीने की फीस जमा करवाने के लिए परेशान कर रहा है। अभिभावकों का कहना है कि अब बच्चों की परीक्षा भी सर पर है और कुछ निजी स्कूल वाले नहीं परीक्षा में ना बिठाने की आड़ लेकर पूरे 10 महीने की फीस वसूलने की बात कह रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि जिस प्रकार कोरोना महामारी ने देश भर की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई थी, इसी प्रकार उनके भी काम रोजगार ठप हो गए थे। जहां तक कि कई अभिभावकों की नौकरियां भी चली गई हैं, लेकिन स्कूल प्रशासन उनकी एक नहीं सुन रहा और रोजाना उनके बच्चों को फीस जमा करवाने के लिए परेशान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कुछ निजी स्कूल वाले बोर्ड की परीक्षा में रोल नंबर ना देने की धमकियां भी दे रहे हैं, कि अगर बकाया फीस जमा जल्द नहीं करवाई गई तो उन्हें बोर्ड की परीक्षा में भी नहीं बिठाया जाएगा। कुछ निजी स्कूल वाले लॉकडाउन के दौरान बंद स्कूल के दौरान का भी वाहन का खर्चा जमा करवाने के लिए कह रहे हैं। जबकि स्कूल बंद पड़े थे और बच्चे अपने-अपने घरों में बैठकर आॅनलाइन कक्षाऐं लगा रहे थे। उसके बावजूद भी मासिक फीस के साथ साथ बहन का खर्चा भी वसूल रहे हैं जो कि गलत है। हैरानी की बात यह है कि इस मुद्दे पर कोई भी राजनीतिक पार्टी, सामाजिक संस्था या समाजसेवी आगे नहीं आ रहे हैं। जोकि अभिभावकों के लिए यह बहुत बड़ी मुसीबत बन गई है कि वे अपनी फरियाद लेकर जाएं भी तो कहां जाएं। वहीं अभिभावकों ने जम्मू कश्मीर प्रदेश के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा से मांग की है कि निजी स्कूल प्रशासन को कोरोना काल के दौरान बंद स्कूल की आधी फीस लेने के लिए निर्देश दिए जाऐ। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की चपेट में पूरा विश्व आया था इसकी वजह से हर एक काम रोजगार में काफी फर्क पड़ा है। निजी स्कूल वालों ने भी लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन कक्षाएं लगाई थी, जिसकी उन्हें आधी फीस लेनी चाहिए। हिन्दुस्थान/समाचार/सचिन/बलवान-hindusthansamachar.in

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