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फारूक और मुफ्ती के लिए पाकिस्तान है आतंकवाद का केंद्र: रमन सूरी

जम्मू, 26 फरवरी (हि.स.)। भाजपा के वरिष्ठ नेता ओर प्रदेश कार्यकारी समिति के सदस्य रमन सूरी ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के लिए आतंकवाद का केंद्र पाकिस्तान में है जिसके बारे में उनका मानना है कि अगर भारत पाकिस्तान से बात करता है तो यह समाप्त हो जाएगा। इन नेताओं का पाकिस्तान के प्रति प्यार कोई नया नहीं है और यही कारण है कि वे भारतीय सेना पर भरोसा नहीं करते हैं जो पाकिस्तान के कायरतापूर्ण कृत्यों से निपटने में पूरी तरह से सक्षम है। सूरी ने कहा कि इन नेताओं पर पाकिस्तान का जुनून सवार है लेकिन इनको पता होना चाहिए कि अब अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया है और हमारे सैनिकों को आतंकवाद को रोकने के लिए एक असफल देश से बात करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि वे अपनी ताकत और वीरता से इस पर अंकुश लगा सकते हैं। सूरी ने कहा कि इन नेताओं ने सीमा पार आतंकवाद पर अंकुश लगाने के लिए कभी भी हमारे सैनिकों के बलिदान की सराहना नहीं की या उनकी क्षमताओं पर भरोसा नहीं किया। फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के हालिया बयानों का हवाला देते हुए जिसमें उन्होंने कहा है कि भारत को पाकिस्तान से बात करनी चाहिए, रमन सूरी ने कहा कि भारत अपने मामलों को संभालने में सक्षम है और उसे उन नेताओं के किसी भी सुझाव की आवश्यकता नहीं है जो चुनावों का बहिष्कार करने वाले हों, वंशवादी हों, पथरावाजों को प्रोत्साहित करने वाले हों, सरकारी खजाने को लूटने वाले हों, जम्मू में एक अच्छा क्रिकेट स्टेडियम नहीं बनने देने वालें हों और हमेशा करदाताओं के पैसे पर नजर रखने वाले हों। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को बार-बार अपनी जगह दिखाई गई है और भले ही वह आतंकवाद का केद्र हो, जैसा कि इन नेताओं द्वारा सुझाया गया है या उनके बयानों से दिखाई देता है, भारत को अपनी आंतरिक शांति या अपनी सीमाओं पर शांति बनाए रखने के लिए किसी से बात करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि इन नेताओं ने अपना जनाधार खो दिया है और लोगों को बताने के लिए उनके पास कुछ भी नहीं है, यही वजह है कि वे अपने पैर जमाने के लिए वही पुराने राग को अलाप रहे हैं। उन्होंने कहा कि फारूक अब्दुल्ला और उनकी पार्टी नेशनल कांफ्रेंस, जिन्होंने हाल ही में परिसीमन आयोग की बैठक का बहिष्कार किया था, ने पहले लोकसभा चुनावों, स्थानीय निकाय चुनावों का बहिष्कार किया था और यहां तक कि निर्वाचित नगर निगमों को चुनाव आयोजित किए बिना पंगु बना दिया गया था। इसी तरह, महबूबा मुफ्ती हमेशा कश्मीर में मारे गए लोगों के घर जाती रहीं लेकिन कभी भी भारतीय सैनिकों के घर नहीं गईं जो कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ लड़ते हुए अपने प्राणों का बलिदान देते हैं। इन नेताओं को भारत को परामर्श देने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है और उन्हें निर्वाचित सरकारों पर यह निर्णय लेने के लिए छोड़ देना चाहिए कि वे किसके साथ बात करें और किसे गोली के साथ जवाब दें। वास्तव में, नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी के पास अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद कुछ भी नहीं बचा है जिसके कारण वे जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं और उस कानून को वापस पाने के झूठे वादे कर रहे हैं। रमन सूरी ने पाकिस्तान को अपना स्थान दिखाने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की। इसके साथ ही आतंकवादियों का सिर कुचलने, कश्मीर से उनके हमदर्दों का सुाया करने, सेना को खुली छूट देने, कश्मीर के युवाओं को पर्याप्त अवसर देकर उनका विश्वास जीतने, युवाओं के जीवन को बचाने और धारा 370 को समाप्त करने के बाद कश्मीर में एक भी गोली नहीं चलाने और आने वाले वर्षों में जम्मू-कश्मीर के संघ शासित प्रदेश के विकास को सुनिश्चित करने के लिए भी पीएम मोदी की सराहना की। हिन्दुस्थान समाचार/अमरीक/बलवान

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