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नुक्कड़ नाटक के जरिए आत्मनिर्भर का मतलब समझाया

जम्मू, 08 मार्च ( हि स ) । एक साथ रंगमंडल ने अपनी 407वें मंडे थिएटर के अंतर्गत विजय माला द्वारा रचित नुक्कड़ नाटक "आत्मनिर्भर" के जरिए आत्मनिर्भर का मतलब समझाया। गांधीनगर के रामपुरा पार्क में आयोजित इस नाटक में सिया शर्मा, मानसी शर्मा, माही, संजना, विशाल मगोत्रा, अंजली, शिवम, अर्वी, प्रीति, प्रमोद चौधरी, मोहित शर्मा, वैशाली और विजय माला जैसे कलाकारों ने अपनी नाट्य कला से लोगो का दिल जीता। इस नाटक का मुख्य विषय आत्मनिर्भर था। नाटक के द्वारा युवा पीढ़ी की दक्षता और कमियों के बारे में बताते हुए यह जानने का प्रयास किया गया कि शिक्षा, बुद्धि तथा शक्ति होने के बावजूद युवा दूसरों पर निर्भर क्यों है। इस नाटक के दो पात्र मिंटू तथा गुड्डी अपनी कक्षा के साथियों के साथ जीवन के हर आयाम में आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं। यह सभी युवा आत्मनिर्भर के मूल उद्देश्यों को जाने के लिए उत्सुक हैं जिसको लेकर वह एक सेवानिवृत्त शिक्षा के पास जाते हैं और उससे आत्मनिर्भर होने की वास्तविकता पूछते हैं। शिक्षक उन्हें बताता है कि हम सभी को ईमानदारी के साथ अपने लक्ष्य के बारे में आश्वस्त होना चाहिए। वह कहते हैं कि हमें प्रकृति ने अमूल्य धन दिया है और हम भाग्यशाली हैं परंतु हमारी अतिरिक्त मांगों के चलते हम दूसरों पर निर्भर रहते हैं। सूर्य, बारिश, मिट्टी, पहाड़, नदियां, जंगल आदि प्राकृतिक वस्तुएं हमारी हर जरूरत पूरा करने मैं सक्षम है फिर चाहे वह खाना, पानी, हवा इत्यादि हो। ऐसे में हम दूसरो पर निर्भर क्यों रहें। शिक्षक आगे कहता है कि हमें अपने घर की सफाई तथा रखरखाव के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं होना चाहिए। हमें अपनी कमाई और खर्चे को संतुलित करना चाहिए। किसी चमत्कार के बजाए अवसर की तलाश करनी चाहिए। कुछ छात्र अपने खाली समय में ट्यूशन देते हैं और कुछ अखबार बेचने का काम कर कमाते हैं। यदि आप सभी इस तरह के बदलावों को विकसित करेंगे तो आप पूरी तरह आत्मनिर्भर बन जाएंगे। एक साथ रंग मंडल द्वारा आयोजित इस नाटक को देखने ज्यादा संख्या में लोग आए तथा नाटक को खूब पसंद भी किया। हिन्दुस्थान समाचार / राहुल / बलवान

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