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ऑल जेएंडके लोपेड गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन ने पत्रकारवार्ता कर सरकार के समक्ष रखी मांगे

कठुआ, 11 अप्रैल (हि.स.)। ऑल जेएंडके लोपेड गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन द्वारा एक पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया जिसमें विभिन्न विभागों में पिछले कई वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे डेलीवेजरों को स्थाई करने की मांग, वकाया वेतन, चैकीदारों का मासिक वेतन बढ़ाना, शिक्षा विभाग की नीतियों में सुधार, शिक्षा विभाग में हेडमास्टर और जोनल एजुकेशन ऑफिसर के रिक्त पड़े पदों को भरना आदि मांगों को लेकर चर्चा की गई। रविवार को कठुआ में ऑल जेएंडके लोपेड गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन के अध्यक्ष काबला सिंह और अन्य सदस्यों ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए बताया कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनरों को यूटी दिल्ली चंडीगढ़ आदि को प्रति माह 1000 रुपये चिकित्सा भत्ता मिल रहा है, लेकिन जम्मू कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों को प्रति माह केवल 300 रुपये का भुगतान किया जा रहा है, जो कर्मचारियों और पेंशनरों के साथ क्रूर मजाक है। उन्होंने बताया कि यह सिद्धांत तय है कि जब भी कीमतें बढ़ती हैं, तो कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को महंगाई के साथ डीए प्रदान करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। लेकिन हमारे निराश कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के इस वास्तविक सिद्धांत से हटा दिया गया है, जिसे कृपया बहाल किया जाए। इसी प्रकार जम्मू और कश्मीर राज्य के रूप में संघ शासित प्रदेश द्वारा यह घोषणा की गई थी कि यात्रा की छुट्टी यूटी कर्मचारियों को प्रदान की जाएगी, लेकिन घोषणा कागजों में ही सीमित रही। इस योजना को भी लागू करने की आवश्यकता है। सिंह ने कताया कि अक्सर यह देखा गया है कि शिक्षक और लेक्चरर अन्य जिले में विशेष रूप से दूर दराज और पहाड़ी क्षेत्रों में तैनात होते हैं, उनके वर्णित कार्यकाल पूरा होने के बाद ऐसे क्षेत्रों में वापस बुलाए जाते हैं और फिर से विषम स्टेशनों में तैनात किए जाते हैं। इस प्रथा को बंद किया जाना चाहिए और ऐसे शिक्षकों को स्थानीय स्तर पर या उनके घर के आसपास तैनात किया जा सकता है। इसी के साथ-साथ प्रधानाध्यापक और जोनल शिक्षा अधिकारियों के कई पद खाली पड़े हैं। बिना किसी और विलंब के इन पदों की पूर्ति आवश्यक है। इसी बीच डेलीवेजरों पर बोलते हुए सिंह ने कहा कि यह कर्मचारी अपनी सेवाओं को सबसे कुशलता से प्रदान कर रहे हैं और संबंधित विभागों की आवश्यकता को पूरा कर रहे हैं। उन्होंने अन्य नियमित कर्मचारियों की तरह लोगों की सेवा के लिए 10 से 20 साल तक की सेवाएं दी हैं। उनकी मूल्यवान सेवाओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें नियमित स्थापना पर लाया जाए और पीएचई में इन श्रमिकों के 65 महीने के लंबित वेतन भी जल्द जारी किया जाए। वहीं अंत में ग्राम चैकीदारों जोकि दिन-रात लोगों की सेवा कर रही है, लेकिन उन्हें मात्र 1500 रुपये प्रति वेतन दिया जाता है। इन ग्राम चैकीदारों के मासिक वेतन को बढ़ाया जाए और उन्हें वर्दी भी जारी की जानी चाहिए। हिन्दुस्थान/समाचार/सचिन/बलवान

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