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‘ऋषि दयानन्द सरस्वती का बोध दिवस शिवरात्रि पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया‘

उधमपुर, 11 मार्च (हि.स.)। आर्य समाज उधमपुर में वीरवार को ऋषि दयानन्द सरस्वती का बोध दिवस शिवरात्रि पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया। यज्ञ के संचालक आचार्य यादवेंद्र महाराज के सान्निध्य में श्रद्धालुओं ने वेद की ऋचाओं के साथ आहुतियां अर्पण कीं। इस अवसर पर आचार्य श्री ने बालक मूलशंकर से दयानन्द बनने का वृतांत बताते हुए कहा कि एक व्यक्ति जो स्वामी जी का घोर विरोधी था। जब भी दयानन्द जी प्रवचन आरंभ करते तो वह बाहर खड़े होकर अपशब्द बोलने लगता। स्वामी जी के शिष्य इस बात से नाराज होकर बोले कि इस व्यक्ति को ताड़ित करना चाहिए लेकिन स्वामी जी शांत भाव से मुस्करा देते। एक बार वह व्यक्ति बड़ा बीमार हो गया तो स्वामी जी ने अपने शिष्यों को उसका हाल जानने भेजा। पता लगने पर स्वामी जी ने उसके लिए दवाई की व्यवस्था की एवं दूध और फल भेजे। वह व्यक्ति अत्याधिक लज्जित हुआ। स्वामी जी से क्षमा मांगने आया और उनके चरणों में गिर पड़ा। स्वामी जी ने कहा कि जो तुम्हारे पास था तुमने मुझे दिया और जो मेरे पास था मैंने तुम्हें दिया। तब से वह व्यक्ति स्वामी जी का अनन्य सेवक बन गया। स्वामी दयानन्द जी के जीवन के इस प्रसंग से हमें यह प्रेरणा लेनी चाहिए कि अच्छे के साथ अच्छाई करना बड़ी बात नहीं है, बुरे के साथ अच्छाई करना बहुत बड़ी बात है। इस अवसर पर धर्मवीर गुप्ता, सुरेश गुप्ता, योगाचार्य बंसी लाल शर्मा, अरविंद गुप्ता, राकेश गुप्ता, राजीव गुप्ता, नरेश खन्ना, राजेश्वर गुप्ता, आदि अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। यज्ञ की व्यवस्था रघुवीर, अभिषेक, जगजीत, धीरज एवं अभिनव के साथ विक्रम सिंह ने संभाल रखी थी। मोहन लाल जी का सहयोग विशेष सराहनीय था। प्रसाद व्यवस्था अनुपमा शर्मा जी की ओर से की गई। हिन्दुस्थान समाचार/रमेश/बलवान

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