‘अनुसूचित जनजाति व वनवासियों को आज भी सुविधाओं का इंतजार: बवोरिया‘
18/04/2021 उधमपुर, 18 अप्रैल (हि.स.)। अनुसूचित जनजाति व वनवासियों की जान-माल की रक्षा व उनकी उचित शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य बुनियादी सुविधाओं को लेकर जन संघर्ष संस्था की तरफ से सस्था के प्रधान एडवोकेट संजीत बवोरिया की अध्यक्षता में एक पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। इस मौके पर एडवोकेट संजीत बवोरिया ने जानकारी देते हुए बताया कि देश में 25 करोड़ की आबादी जंगल व इसके आसपास रहती है। देश की कुल आबादी में से 8.6 प्रतिशत आबादी आदीवासियों की है और जम्मू कश्मीर व लेह लद्दाख यूटी में इसकी 11.9 प्रतिशत आबादी है। राष्ट्रीय स्तर पर उनकी साक्षरता दर 58.96 प्रतिशत व जम्मू व कश्मीर व लेह लद्दाख यूटी में 50.60 प्रतिशत है। जम्मू कश्मीर-लेह लद्दाख यूटी में अनुसूतिच जनजाती व वनवासियों के 45 प्रतिशत बच्चे 8वीं कक्षा से पहले पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हैं। जहां तक उनके जानमाल के संबंधित बात की जाए, तो आए दिन इन लोगों को व इनके माल मवेशियों को गाडियों द्वारा सड़कों पर कुचला जा रहा है। ऐसा ही ताजा एक हादसा 7 अप्रैल 2021 को उधमपुर के दरसू में पेश आया था, जिसमें इनकी 36 भेड़ंे मारी गई थीं। बवोरिया ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2019 में एनसीआरवी के मुताबिक 26.5 प्रतिशत इनके खिलाफ जुर्म बढ़ा है। 14 मई 1944 के दिन जम्मू कश्मीर राज्य में सम्पति व रिहाईश का कोई दस्ताबेजी सबूत न होने के कारण यह लोग सरकारी योजनाओं व नौकरियों का लाभ नहीं उठा सके। उन्होंने कहा कि डेढ वर्ष गुजर जाने के बावजूद जम्मू कश्मीर व लेह लद्दाख में जमीनी स्तर पर वन अधिकार अधिनियम लागू नहीं हो पाया है, जिसमंे शडयूल ट्राईब व जंगल में 75 वर्ष से रहने वाले लोगों को लीज पर 40 हजार वर्ग मीटर जमीन देने का प्रावधान है। बवेारिया ने कहा कि यह सब कुछ संबंधित विभागों की अनदेखी के कारण हो रहा है। उन्होंने कहा कि ट्राईब अफेयरस, रैवन्यू विभाग नैशनल कम्यूनिटिज फाॅर शड्यूल ट्राईब को इनके विकास के लिए सतर्कता से आगे आना चाहिए ताकि इनके मानवाधिकारों की रक्षा हो सके। इस मौके पर शहरी प्रधान राकेश खजूरिया इत्यादी मौजूद रहे। हिन्दुस्थान समाचार/रमेश/बलवान