2010 के बाद भर्ती हुए कर्मचारियों की पैंशन बंद हो सकती है तो विधायकों, एमएलसी, सांसदों की क्यों नहीं: दूबे
2010 के बाद भर्ती हुए कर्मचारियों की पैंशन बंद हो सकती है तो विधायकों, एमएलसी, सांसदों की क्यों नहीं: दूबे

2010 के बाद भर्ती हुए कर्मचारियों की पैंशन बंद हो सकती है तो विधायकों, एमएलसी, सांसदों की क्यों नहीं: दूबे

उधमपुर, 2 सितम्बर (हि.स.)। पीपुल डैमोक्रेटिक ट्रेड यूनियन (पीडीटीयू) उधमपुर के जिला प्रधान विपिन दूबे ने एक प्रैस विज्ञप्ति के जरिए 2010 के बाद के तमाम सरकारी विभागों में भर्ती कर्मचारियों को भी पैंशन का लाभ देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने एक आदेश निकाला था कि 2010 के बाद भर्ती कर्मचारियों को पैंशन नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि कर्मचारी 60 वर्ष अपनी सेवाएं विभाग को देता है। वे दिन-रात जनता की सेवा करता है। जब वह सेवानिवृत हो जाता है, तो उसका पैंशन से ही गुजारा चलता है। वह अपनी दवाईयां रोटी इसी पैंशन से चलाता है, मगर सरकार ने 2010 के बाद तैनात कर्मचारियों को पैंशन बंद करके एक कटु प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि जबकि 2010 के बाद बने विधायकों, एमएलसी, सांसदों को पैंशन मिल रही है मगर गरीब कर्मचारियों की पैंशन सरकार ने बंद कर दी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने एक नारा दिया था एक निशान एक विधान। अगर कर्मचारियों को पैंशन नहीं है तो इन विधायकों, एमएलसी व सांसदों को किस विधान के जारिए पैंशन मिल रही है। उन्होंने कहा कि सरकार गरीब के लिए अलग और अमीर के लिए अलग विधान पर चल रही है। विपिन दूबे ने माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से अपील की है कि या तो सब 2010 के बाद भर्ती हुए कर्मचारियों को भी पैंशन का लाभ दिया जाए नहीं तो 2010 के बाद बने हुए तमाम विधायकों, एमएलसी, सांसदों की भी पैंशन बंद की जाए ताकि जनता को लगे की कानून सब के लिए एक है। उन्होंने तमाम कर्मचारियांें एवम पैंशनरों को डीए की किस्त जल्द देने की मांग की। उन्होंने कहा कि एक तो महंगाई अपनी चरम पर है दूसरा सरकार द्वारा कर्मचारियों एवम पैंशनरों को डीए की किस्त को रोकना जलती पर नमक छिड़कने वाली बात है। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि डीए की किस्त तमाम कर्मचारियों एवम पैंशनरों को जल्द दी जाए। हिन्दुस्थान समाचार/रमेश/बलवान-hindusthansamachar.in

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