सीयू धर्मशाला में स्व. डॉ. चंद्रशेखर के रचना कर्म एवं साहित्यक अवदान” को  किया याद
सीयू धर्मशाला में स्व. डॉ. चंद्रशेखर के रचना कर्म एवं साहित्यक अवदान” को किया याद

सीयू धर्मशाला में स्व. डॉ. चंद्रशेखर के रचना कर्म एवं साहित्यक अवदान” को किया याद

धर्मशाला, 29 अगस्त (हि.स.)। “डॉ. चंद्रशेखर के रचना कर्म एवं साहित्यक अवदान” विषय पर हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला के हिंदी विभाग द्वारा शनिवार को राष्ट्रवादी विचारक चिंतक व लेखक डॉ चंद्रशेखर की पुण्य स्मृति में एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार आयोजित किया गया। इस मौके पर केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने कहा कि राष्ट्रवादी विचारक चिंतक एवं लेखक डॉ. चंद्रशेखर की रचना में राष्ट्रीय चेतना एवं राष्ट्रवाद प्रमुख रूप से उभर कर झलकता है परंतु उनके साहित्य एवं उनको जो स्थान मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला। वर्तमान समय की मांग है कि उनके साहित्य को समाज के सम्मुख लाना हम शिष्यों का कर्तव्य है। प्रो. अग्निहोत्री ने कहा कि डॉ. चंद्रशेखर जब भी दिल्ली का प्रवास करते थे तो वह मुझे हमेशा साथ रखते थे। डॉ. चंद्रशेखर ने मुझे एक पत्र लिखा और कहा कि दिल्ली की यात्रा करनी है, परंतु उस समय मैं प्रशासनिक कारणों के कारण उनके साथ वह यात्रा नहीं कर पाया। कुछ ही दिन पश्चात समाचार पत्रों में खबर आई कि डॉ. चंद्रशेखर का कार दुर्घटना में देहांत हो गया। यह खबर सुनकर मेरा मन काफी व्यथित हुआ। डॉ. चंद्रशेखर को हिंदी संस्कृत, उर्दू व फारसी भाषा का भी ज्ञान था। डॉ. चंद्रशेखर हमेशा से ही देश की स्थिति को लेकर चिंता करते थे। वरिष्ठ साहित्यकार एवं पूर्व प्रो. धर्मशाला महाविद्यालय डॉ. गौतम शर्मा व्यथित सहित प्रो. मोहन सप्रा वरिष्ठ साहित्यकार एवं भूतपूर्व प्रोफेसर, नकोदर महाविद्यालय, पंजाब ने भी डा. चंद्रशेखर के साथ बिताए समय और अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा कि डॉक्टर चंद्रशेखर कहते थे कि जब तक हम मिट्टी से नहीं जुड़ेंगे तब तक हम संस्कार ग्रहण नहीं कर सकते साथ ही राष्ट्रीय अस्मिता के लिए वह हमेशा सचेत रहते थे। डॉक्टर चंद्रशेखर अपने व्यक्तिगत कार्य करते समय भी वह महापुरुषों के प्रसंग सुनाते थे । इस वेबीनार में कैलाश भारद्वाज, पूर्व प्रार्चाय और कमलेश भारती ने भी अपने विचार व्यक्त किए। हिन्दुस्थान समाचार/सतेंद्र/सुनील-hindusthansamachar.in

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