सहकारिता को जन आंदोलन बनाने की आवश्यकताः जय राम ठाकुर
सहकारिता को जन आंदोलन बनाने की आवश्यकताः जय राम ठाकुर

सहकारिता को जन आंदोलन बनाने की आवश्यकताः जय राम ठाकुर

शिमला, 18 नवम्बर (हि.स.)। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा है कि सहकारिता आंदोलन को आज जन आंदोलन बनाने की आवश्यकता है क्योंकि इस क्षेत्र में रोजगार और स्वराेेजगार की व्यापक क्षमताएं हैं। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन को जमीनी स्तर तक पहुंचाया जाना चाहिए, जिससे ग्रामीण आबादी तक इसकी पहुंच सुनिश्चित हो सके। मुख्यमंत्री बुधवार को शिमला में 67वें अखिल भारतीय सहकारिता सप्ताह समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में वर्तमान में 4,843 सहकारी सभाएं कार्यशील हैं, जिनके 17.35 लाख से अधिक सदस्य और 38,677 करोड़ रुपये की सक्रिय पूंजी है। यह सभाएं प्रदेश की 3,226 ग्राम पंचायतों में 3156 डिपुओं के संचालन के साथ आम जनता तक आवश्यक वस्तुओं के वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उचित मूल्य की इन दुकानों के माध्यम से उपभोक्ताओं को आवश्यक सामग्री के साथ-साथ किसानों और बागवानों को खाद, कीटनाशक और कृषि उपकरण इत्यादि भी वितरित किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ठाकुर ने कहा कि सहकारी सभाएं लोकतंत्र और आत्मनिर्भरता की मूलभूत इकाइयां हैं लेकिन इस दिशा में अभी काफी कार्य किया जाना बाकी है। हिमाचल प्रदेश ने सहकारिता आंदोलन में देश का नेतृत्व किया है। पहली सहकारी सभा का गठन 1892 में ऊना जिले के पंजावर में किया गया था। उन्होंने कहा कि गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया है और हमें उनके माॅडल का अध्ययन कर इसका अनुसरण करना चाहिए। ठाकुर ने कहा कि सहकारी सभाओं ने कोरोना महामारी के इस संकटकाल में सराहनीय भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि अनलाॅक चरण के दौरान राज्य में कोविड-19 के मामलों में तेजी से वृद्धि दर्ज की गई है, जिसका मुख्य कारण लोगों की लापरवाही है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे इस महामारी के प्रति पूरी तरह से सतर्क रहें और घर से बाहर निकलने पर मास्क का इस्तेमाल अवश्य करें। हिन्दुस्थान समाचार/सुनील-hindusthansamachar.in

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