आईआईटी मंडी : फर्श की टाइल या सडक़ों पर पीजोइलेक्ट्रिक सामग्री का उपयोग करने पर चलने से उत्पन्न होगी बिजली
आईआईटी मंडी : फर्श की टाइल या सडक़ों पर पीजोइलेक्ट्रिक सामग्री का उपयोग करने पर चलने से उत्पन्न होगी बिजली

आईआईटी मंडी : फर्श की टाइल या सडक़ों पर पीजोइलेक्ट्रिक सामग्री का उपयोग करने पर चलने से उत्पन्न होगी बिजली

मंडी, 07 दिसम्बर (हि. स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी तकनीक का प्रस्ताव दिया है जिससे पीजोइलेक्ट्रिक सामग्रियों से बिजली उत्पादन बढ़ेगा। इसके लिए शोधकर्ताओं ने पीजोइलेक्ट्रिक सामग्री-यांत्रिक ऊर्जा और विद्युत ऊर्जा को इंटरकन्वर्ट करने वाली सामग्री का संख्यात्मक अध्ययन किया है और नई व्यवस्था का प्रस्ताव दिया है। जिसमें ये सामग्रियां तनाव (स्ट्रेस) पडऩे पर विद्युत उत्पादन बढ़ा देंगी। उनके शोध परिणाम इजीनियरिंग रिपोट्र्स नामक जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं। शोधपत्र के सह-लेखक हैं रिसर्च स्कॉलर राज किरण, सौरव शर्मा के साथ आईआईटी मंडी के पूर्व छात्र डा. अनुरुद्ध कुमार जो वर्तमान में उत्तर कोरिया के हयांग विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं और आईआईटी मंडी में स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर, डा.राजीव कुमार और डा. राहुल वैश्य हैं। डा. राजीव कुमार ने बताया कि पीजोइलेक्ट्रिक सामग्रियों पर बल पडऩे पर वे विद्युत ऊर्जा उत्पन्न कर सकती हैं इसलिए बहुत उपयोगी हैं। उदाहरण के लिए इस तरह की सामग्रियां फर्श की टाइल या सडक़ों में उपयोग करने पर जब इंसान चलेंगे तो वे सामग्रियां विद्युत ऊर्जा उत्पन्न कर सकती हैं। वाहन का वजन पडऩे पर उत्पन्न इस बिजली से सडक़ और सिग्नल की रोशनी मिल सकती है। हालांकि इन सामग्रियों से उत्पन्न विद्युत ऊर्जा वर्तमान में बहुत कम है, इसलिए इसके वास्तविक उपयोग की अपनी सीमाएं हैं। वहीं पर डा. राहुल वैश्य ने कहा, हमने ग्रेडेड पोलिंग नामक एक तकनीक विकसित की है जिससे पीजोइलेक्ट्रिक सामग्री का आउटपुट 100 गुना से अधिक बढ़ सकता है। उन्होंने बताया कि शोधकर्ताओं ने विद्युत उत्पादन बहुत बढ़ाने के लिए संख्यात्मक तकनीकों की मदद से विभिन्न यांत्रिक तनावों का उपयोग किया है जैसे पीजोइलेक्ट्रिक केंटीलीवर बीम के सबसे ऊपर और नीचे मोडऩे, कंप्रेस करने और टेंसाइल स्ट्रेस पैदा करने और मध्य में शियर स्ट्रेस का उपयोग किया है। डा. राजीव कुमार ने कहा कि वर्तमान में ग्रेडेड पोलिंग का व्यावहारिक उपयोग चुनौतीपूर्ण है। हालांकि इस अध्ययन के परिणाम और ग्रेडिंग पोलिंग तकनीक से होने वाले भारी सुधार शोधकर्ताओं को वास्तविक पीजोइलेक्ट्रिक डिजाइन विकसित करने को प्रोत्साहित करते हैं जिसमें ग्रेडिंग पोलिंग तकनीक लगा कर यह उपयोग किया जा सके। शोधकर्ताओं ने इन डिजाइनों को व्यावहारिक रूप से सफल बनाने के संभावित कदम भी बताये हैं जैसे कि सैंपल के दाहिने फेस को जमीन से जोडऩा और सबसे ऊपर के फेस को विद्युत क्षमता के साथ उपयोग करना। शोधकर्ता प्रस्तावित सामग्री के यांत्रिक गुणों पर पोलिंग तकनीक के प्रभावों के अधिक सटीक अनुमान के लिए कार्यरत रहे हैं जिससे वास्तविक जीवन में इस तकनीक के लाभ लेने की बेहतर सूझबूझ मिलेगी। हिन्दुस्थान समाचार/मुरारी/सुनील-hindusthansamachar.in

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