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राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर केंद्रीय विश्वविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सोमवार से

धर्मशाला, 21 फरवरी (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर दो दिवसीय वर्चुअली संगोष्ठी आयोजन किया जा रहा है। भारतीय शिक्षण मण्डल और नीति आयोग एवं हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में 22 से 23 फरवरी तक केंद्रीय विश्वविद्यालय के धौलाधार परिसर, धर्मशाला एवं व्यास परिसर देहरा में होने वाली इस संगोष्ठी में कई जाने-माने शिक्षाविद एवं कुलपति शामिल होंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विविध पहलुओं पर विचार-विमर्श होने के साथ शिक्षकों में अभिप्रेरणा पैदा करना कार्यक्रम का मूल उद्देश्य है। साथ ही शिक्षा में नवाचार विकसित करने एवं मातृभाषा के प्रयोग पर बल देना भी इस संगोष्ठी का अहम हिस्सा है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जब से केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दी गई है तब से लगातार देश भर में इस तरह के कार्यक्रम किए जा रहे हैं। इस क्रम में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय का यह पहला आयोजन है। इसमें शिक्षाविद शंकरानन्द, अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री, भारतीय शिक्षण मण्डल एवं प्रोफेसर मोहन लाल छीपा, पूर्व कुलपति अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल का उद्बोधन एवं मार्गदर्शन प्रतिभागियों को मिलेगा। इस दो दिवसीय संगोष्ठी में सौ से अधिक प्रतिभागी अपना पंजीयन करवा चुके हैं। इस संगोष्ठी में कुल चार सत्र रखे गए हैं। उद्घाटन सत्र में हिमाचल प्रदेश के भी कई समाजविद, शिक्षाविद हिस्सा लेंगे। हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसपी बंसल, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री भी मौजूद रहेंगे। संगोष्ठी का प्रारम्भ मुकुल कानिटकर अखिल भारतीय संगठन मंत्री, भारतीय शिक्षण मण्डल के वीडियो संदेश द्वारा होगा। आगे के तीन सत्रों में नई शिक्षा नीति के विविध आयामों पर गहन चर्चा होगी। गुणवत्तापरक शैक्षिक अनुसंधान, उच्च शिक्षा में पाठ्यक्रम का पुनर्गठन, भारतीय भाषाओं में उच्च शिक्षा, सामंजस्यपूर्ण समाज के लिए समावेशी शिक्षा, शिक्षकों के लिए व्यापक प्रशिक्षण, भारतीय विश्वविद्यालयों-महाविद्यालयों में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने सहित कई अन्य पहलुओं पर चर्चा होगी। हिन्दुस्थान समाचार/सतेंद्र/सुनील

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