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बांस शिल्प और बोतल के अंदर मंदिर बनाने की कला में माहिर हैं तेज राम सोनी

मंडी, 09 फरवरी (हि.स.)। मंडी जिला की सुकेत रियासत की प्राचीन राजधानी पांगणा निवासी तेज राम सोनी और उनके पुत्र राकेश सोनी बांस शिल्प व बोतल के अंदर मंदिर बनाने की कला में माहिर हैं। इन दोनों ने 1990 में तीन दशक पूर्व बांस के टुकड़ों से प्रदेश के कलात्मक मंदिरों-भवनों, तंग गले की बोतल के अंदर हिमाचल के विख्यात मंदिर व स्मारक की यथारूप अनुकृति बनाकर शिल्प जगत में प्रसिद्धि अर्जित की। पिता-पुत्र दोनों कला शिल्पियों नें बांस की खपच्चियों से बोतल के अंदर और बाहर महामाया मंदिर पांगणा, हिडिंबा मंदिर मनाली, कामाक्षा मंदिर, ममलेश्वर मंदिर, भीमाकाली मंदिर, चर्च भवन शिमला, घंटाघर मंडी आदि अनेक स्मारक व मंदिर बनाकर दर्जनों प्रदर्शनियां लगाकर अपने कला कौशल का लोहा मनवाया है। सोनी परिवार ने अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्री महोत्सव मंडी, कुल्लू दशहरा, हरियाणा के सूरजकुंड व राजस्थान आदि में विख्यात मेलों में बांस के इस अद्भुत शिल्प की प्रदर्शनी लगाकर कला कौशल का परिचय दिया। आज भी तेजराम सोनी नई पीढ़ी के नवांकुर कला शिल्पियों को बांस से बनी कलाकृतियों को बनाने का प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बना रहे हैं। सन् 1996 में राकेश सोनी ने बोतल के अंदर बनायी कला कृतियों के कौशल को गिनीज बुक आफ वर्ड रिकार्ड व लिमका बुक आफ रिकार्ड में दर्ज करने के लिए सरकार के माध्यम से आवेदन किया था। परंतु प्रशासकीय प्रकिया का ज्ञान न होने के कारण प्रतिवेदन की प्रकिया अधर में लटक गई। बांस के टुकड़ों से बोतल के अंदर और बाहर मंदिर स्मारक बनाना व केवल किसी भी स्मारक भवन की अनुकृति बनाना सोनी पिता पुत्र के लिए बड़ी बात नहीं है। अभी हाल में हमीरपुर के शिल्पी को बास की इसी विधा के लिए प्रतिष्ठित पदमश्री से सम्मानित किया गया। अब तेजराम सोनी को भी सम्मानित करनेकी मांग उठने लगी है। सुकेत संस्कृति साहित्य एवं जन कल्याण मंच पांगणा के अध्यक्ष डाक्टर हिमेंद्र बालीहिम समाजसेवी डाक्टर जगदीश शर्मा , व्यापार मंडल पांगणा के प्रधान सुमित गुप्ता, पंचायत प्रधान बसंत लाल चैहान उप प्रधान सुरेश शर्मा , जिला परिषद सदस्य चेतन गुलेरिया व बीडीसी सदस्य चरण दास ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस शिल्प के आविष्कार करने वाले बांस कला शिल्पी तेजराम सोनी और इनके पुत्र राकेश सोनी को भी राज्य सरकार पुरस्कृत करे। जिन्होंने ऐसी विधा को शिल्पकला के जगत में आज से लगभग तीन दशक पूर्व परिचित करवाया और आज भी इस विधा के प्रसार के लिए सक्रिय हैं। हिन्दुस्थान समाचार/मुरारी/उज्जवल/सुनील-hindusthansamachar.in

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