एक अध्यापिका व लेखिका के रूप में भी अलग पहचान रखती थीं संतोष शैलजा
धर्मशाला, 28 दिसम्बर (हि.स.)। संतोष शैलजा की पहचान सिर्फ वरिष्ठ भाजपा नेता शांता कुमार की पत्नी के रूप में ही नहीं, बल्कि वह एक अध्यापिका व लेखिका के रूप में भी अलग पहचान रखती थीं। उन्होंने कई पुस्तकें व उपन्यास भी लिखे। संतोष शैलजा का जन्म 14 अप्रैल 1937 को अमृतसर पंजाब में हुआ। उन्होंने वहां पर अपनी दसवीं तक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उनके अभिभावक दिल्ली आ गए। यहां पर संतोष शैलजा ने अपनी बीए व एमए हिंदी पूरी की। इसके बाद उन्होंने बीएड पूरी की और राजकीय उच्च विद्यालय दिल्ली में ही अध्यापक के तौर पर सेवाएं देना शुरू कर दिया। इसी दौरान उनका विवाह वर्ष 1964 में शांता कुमार के साथ हो गया। वह पालमपुर में रहने लगी। यहां पर उन्हें तीन पुत्रियां व एक पुत्र हुआ। लेकिन उन्होंने अपने लेखन व पठन पाठन कार्य को जारी रखा। संतोष शैलजा की बतौर लेखक पहली कहानी पंचजन्य काफी सराही गई। इसके बाद उन्होंने नियमित तौर पर साप्ताहिक हिंदुस्तान, धर्मयुग व सारिका के लिए भी लिखा। दिल्ली की पत्र पत्रिकाओं में भी उनकी काफी कहानियां प्रकाशित हुईं। वर्ष 1966 में ‘जौहर के अक्षर’ कहानी संग्रह के बाद तीन उपन्यास कनकछड़ी, अंगारों में फूल, सुन मुटियारे व पांच कहानी संग्रह ज्योतिर्मयी, टाहलियां, मेरी प्रतिनिध कहानियां, हिमालय की लोक गाथाएं, जौहर के अक्षर, दो कविता संग्रह ओ प्रवासी मीत मेरे, कुहुक कोयलिया प्रकाशित हुए हैं। इनमें ‘ओ प्रवासी मीत मेरे’ व ‘ज्योतिर्मयी’ में शांता और शैलजा दोनों की रचनाएं हैं। हिन्दुस्थान समाचार/सतेंद्र/सुनील-hindusthansamachar.in