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पवन चौहान की पुस्तक जड़ों से जुड़ाव धरोहर संरक्षण की अनूठी पहल

मंडी, 04 मार्च (हि. स.)। मंडी जिला से संबंधित युवा साहित्यकार पवन चौहान की ताजा पुस्तक जड़ों से जुड़ाव धरोहर संरक्षण की महत्वपूर्ण पहल है। यह पुस्तक कृषि और घरेलु उपयोग की विलुप्त हो रही धरोहरों को संजोने का एक शानदार प्रयास है। इस तरह यह हिमाचल की पहली पुस्तक बन गई है जिसने धरोहर संरक्षण की इस दिशा में पहल की है। यह पुस्तक पाठकों, शोधार्थियों व वर्तमान पीढ़ी को हमारे अतीत से रूबरू करवा रही है। पुस्तक में पवन ने उन सभी उन पुरानी चीजों, विधियों व रस्मों को समाहित किया है जो पूरी तरह से लुप्त हो गई हैं या फिर अपनी अंतिम सांसे गिन रही हैं। कभी ये सभी हमारी दिनचर्या का एक अहम हिस्सा हुआ करती थीं। इस पुस्तक में खालहड़ू, तान, भरनी, त्रयांगल, छिकड़ी, धुईं, खिंद-खंदोल्हु, ‘उखल, घ्वारा, पाथा, कन्वाला, सलोटू, उरछ, पातरी, डोए, ज्वारी आदि 42 आलेख शामिल किए गए हैं। इन्हे लिखते हुए लेखक ने चीजों व विधियों के नामकरण, बुजुर्गों के अनुभव, इतिहास, वैज्ञानिक तथ्य से लेकर कहावतों, मुहावरों, पहेलियों आदि द्वारा इन सभी आलेखों को सजाया है। किताब के लेखक पवन चौहान का कहना हैं कि यह पुस्तक नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोडऩे में मददगार साबित होगी। यह हमें उस अतीत से रूबरू करवाएगी जब हमारे बुजुर्गों ने अपने अनुभवों और जरूरत के मुताबिक इन चीजों को उस मुश्किल समय में ईजाद किया था और अपने कार्यों को आसान बनाया था। इस पुस्तक के अलावा पवन चौहान की कविता की किताब किनारे की चट्टान और बाल कहानी संग्रह भोलू भालू सुधर गया तथा हिमाचल का बाल साहित्य (शोध संदर्भ) पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इसमें हिमाचल के बाल साहित्य पर अब तक लिखी गई पहली पुस्तक हिमाचल का बाल साहित्य चर्चा में है। हिन्दुस्थान समाचार/मुरारी/सुनील

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