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आईजीएमसी प्रशासन ने मरीजों के खाने के टैंडर में घपले के आरोपों को किया खारिज

टैंडर प्रक्रियां में नहीं हुआ गड़बड़झड़ाला: डाॅक्टर रजनीश पठानिया शिमला, 09 फरवरी (हि.स.)। हिमाचल के सबसे बड़े अस्पताल आई.जी.एम.सी. में मरीजों के खाने को आउटसोर्स करने के दौरान हुई टैंडर प्रणाली में घोटाले के आरोपों को अस्पताल प्रशासन ने पूरी तरह नकार दिया है। आईजीएमसी के प्रिंसिपल डा. रजनीश पठानिया ने स्पष्ट किया है कि अस्पताल में अहार सेवाएं (मैस) को लेकर किए ई-टैंडर को लेकर कोई गड़बड़झाला नहीं हुआ है। जो ई-टैंडर को लेकर आरोप लगाए जा रहे है वह पूरी तरह निराधार है। पूरी प्रक्रिया के साथ ई-टैंडर करवाए गए है। मंगलवार को प्रैस वार्ता के दौरान डा. रजनीश पठानिया ने कहा कि कुछ लोगों ने आरोप लगाए है कि टैंडर प्रक्रियां में गड़बड़झाला हुआ है। इसकी सच्चाई को सामने लाने के लिए जांच बिठाई गई है। जांच कमेटी दो सप्ताह के अंदर रिपोर्ट सौंपेगी। अगर कोई अनियमिताएं पाई जाती है, तो टैंडर को रद्द कर दिया जाएगा। आई.जी.एम.सी. में आहार सेवाएं इसलिए ऑटसोर्स किया गया है ताकि मरीजों को बेहतरीन सुविधा मिल सके। पठानिया ने कहा कि मैस चलाने के लिए 16 सृजित किए गए थे, जिनमें से वर्तमान में 3 ही कुकु काम कर रहे है। मैस का कार्य होमगाड व वार्ड वॉय से चलाया जा रहा है। सरकार ने कुकु के पदों को रद्द कर दिया है। ऐसे में इन पदों पर अब कोई भर्ती नहीं होनी है। मैस चलाने को लेकर काफी दिक्कतें आ रही थी, जिसके चलते बेहतरीन सुविधा प्रदान करने के लिए अहार सेवाओं को आऊटसोर्स किया जा रहा है। आऊटसोर्स में कम खर्चा आ रहा है। अभी मैस को आई.जी.एम.सी. रोगी कल्याण समिति द्वारा ही चलाया जा रहा है। इनडोर रोगियों के लिए पका हुआ अहार प्रदान करने के लिए वर्तमान मॉडल के अनुसार राशन वस्तुओं की खरीद पर पूरा खर्च 1.27 करोड़ रूपए आर.के.एस. द्वारा वहन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण 2020-21 में आर.के.एस. की राजस्व प्राप्ति में भारी कमी आई है और अहार सेवाओं सहित विभिन्न रोगी कल्याण गतिविधियों के कारण खर्च वहन करना मुश्किल हो गया है। 10 जून 2020 को आयोजित बैठक में ई-टैंडर के माध्यम से अहार सेवाओं की आउटसोर्सिंग के मॉडल का प्रस्ताव रखा गया था। 12 अक्तुबर 2020 को इसी प्रस्ताव को आर.के.एस. आई.जी.एम.सी. की 11वीं गवर्निंग बॉडी की बैठक में भी मंजूरी दी गई। इस दौरान एम.एस. डा. जनक राज व प्रशासनिक अधिकारी डा. राहुल गुप्ता भी मौजूद रहे। प्रशासन ने ऐसे करवाया ई-डैंडर इनडोर रोगियों के लिए पके हुए आहार के लिए ई- टेंडर 20 जुलाई 2020 को जारी किया गया था, जिसमें 13 अगस्त 2020 को टैंडर प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि थी। एम.एस. व एम.सी.एस. सर्विसिस से एक प्रतिनिधित्व प्राप्त किया गया था, जो टैंडर के नियमों और शो को कमजोर करने के लिए अनुरोध करता है। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने 11 अगस्त 2020 को एक बैठक बुलाई, जिसमें इस प्रतिनिधित्व पर विचार किया गया और एम.एस. व एम.सी.एस. सर्विसिस की दलील को इस आधार पर ठुकरा दिया गया कि आई.जी.एम.सी. शिमला राज्य की एक प्रमुख संस्था है, इसलिए सेवाओं की गुणवत्ता बनाए रखने और फर्मो की फाइनेशियल स्टेटस की जांच करने के लिए नियम और शर्तों को शामिल किया गया था। इस टैंडर की तकनीकी बोली दिनांक 13 अगस्त 2020 को खोली गई थी, जिसमें चार फर्मों ने भाग लिया था। समिति द्वारा इन बोलियों की तकनीकी जांच की गई। दस्तावेजों की जांच करने पर एक फर्म को समिति द्वारा अयोग्य घोषित किया गया, जबकि तीन फर्मो ने तकनीकी रूप से क्लीयरैंस प्राप्त की। जैसा कि तीन फर्मों ने तकनीकी बोली में क्लीयरैंस प्राप्त की थी। इसलिए एच.पी. एफ.आर. 2009 की स्थिति के अनुसार वितीय बोली 21 सितंबर 2020 खोली गई थी और मेसर्स नूविजन कमर्शियल एंड एस्कॉर्ट सर्विसेज को एल -1 फर्म के रूप में घोषित किया गया था। इसके बाद समिति द्वारा एल-1 को दिनांक 2 दिसंबर 2020 वार्ता के लिए बुलाया गया था। बातचीत के दौरान प्रस्तावित दर में लगभग 10 प्रतिशत की कमी की गई। चूंकि आहार सेवा का वित्तीय भार आर.के.एस. वहन करने की स्थिति में नहीं है, इस कार्यालय ने लेटर नंबर आर.के.एस. एम.एस. समिति डाइट 1072-73 तिथि 15-12-2020 को एल -1 को अनुबंध देने के साथ-साथ वित्तीय अनुदान प्राप्त करने के लिए अनुमोदन की मांग की। 16 रेगुलर रसोएया रखने से सरकार पर पड़ता है 76,80,000 का बोझ एम.एस. डा. जनक राज ने कहा कि वर्तमान में आहार सेवाएं आर.के.एस. आई.जी.एम.सी. शिमला द्वारा चलाई जा रही हैं। 16 रेगुलर रसोएया रखने के लिए एक वित् वर्ष में 40000 के प्रति माह वेतन के हिसाब से सरकार पर 76,80,000 रूपए का वित्तीय बोझ पड़ता है और साथ ही रेगुलर हेल्पर्स, वेटर्स, सफाई कर्मचारी रखने के लिए एक वित् वर्ष में 30,000 के प्रति माह वेतन के हिसाब से सरकार पर 1,26,00,000 रूपए का वित्तीय बोझ पड़ता है, जो की लगभग 2 करोड़ बनता है, इस में स्थायी कर्मचारी को मिलने वाले अन्य भत्ता शामिल नहीं किया गया है । लगभग 4.75 करोड़ के खर्च में पीसर्विस टैक्स, ई.पी.एफ., किचन गैस, बिजली, कूड़े का निपटान, खाना बनाने और बांटने के लिए प्रयोग होने वाले सभी तरह के यन्त्र का खर्चा भी शामिल है। हिन्दुस्थान समाचार/उज्जवल/सुनील-hindusthansamachar.in

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