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हिमाचल में करोड़ों के घाटे तले दबे 12 निगम और बोर्ड, अकेले एचआरटीसी का घाटा 1533 करोड़

शिमला, 09 मार्च (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में 12 निगम और बोर्ड घाटे में चल रहे हैं। राज्य के 11 निगम और एक बोर्ड करोड़ों के घाटे तले दबे हैं। 31 मार्च 2020 तक एचआरटीसी का घाटा 1533 करोड़ रूपये हो गया है। सबसे ज्यादा घाटे में चलने वाला निगम है। राज्य विद्युत वोर्ड लिमिटेड घाटे में चलने वाला एकमात्र बोर्ड है। विद्युत बोर्ड का घाटा 1520 करोड़ है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अनुपस्थिति में जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान विधायक जगत सिहं नेगी के सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। महेंद्र सिंह ने बताया कि हिमाचल प्रदेश उर्जा निगम 361 करोड, हिमाचल प्रदेश वितीय निगम 153 करोड़, हिमाचल प्रदेश वन विकास निगम सीमित शिमला 110 करोड़, हिमाचल प्रदेश उर्जा संचार विकास निगम 108 करोड, हिमाचल प्रदेश बागवानी उत्पाद विपणन एवं प्रस्ंसकरण (एचपीएमसी) 85 करोड़, हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम 50 करोड़, हिमाचल प्रदेश अनुसचित जाति एवं अनुसचित जनजाती एवं विकास निगम सोलन 26 करोड़, हिमाचल प्रदेश राज्य हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम सीमित का 13 करोड़, हिमाचल प्रदेश एग्रो इंस्डस्टरीज 9 करोड़,़ और हिमाचल प्रदेश अल्पसंख्यक वर्ग वित विकास निगम शिमला का घाटा 6 करोड़ रूपये है। उन्होंने कहा कि बीते तीन सालों में एचआरटीसी के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष पर सबसे ज्यादा 56 लाख 75 हजार 777 रूपये खर्च किए गए हैं। इसी तरह वन विकास निगम के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पर 30 लाख 16 हजार 970 लाख, हस्तशिल्प व हथकरघा निगम के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पर 28 लाख 57 हजार 990 रूपये खर्च किए गए हैं। एचपीएमसी के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पर 13 लाख 42 हजार 984, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति विकास निगम सोलन के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पर 13 लाखा 33 हजार 365, उर्जा निगम के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पर 5 लाख 45 हजार 669 खर्च हुए हैं। सबसे कम खर्चा 2 लाख 67 हजार 161 रूपये खर्चा पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पर हुआ है। महेंद्र सिंह ने बताया कि इन निगमों व बोर्ड को घाटे से उबारने का प्रयास किया जाएगा। मंत्री ने यह भी कहा कि ऐसा नहीं है कि ये निगम व बोर्ड तीन सालों से ही घाटे में हैं बल्कि लंबे अंतराल से ये घाटे में हैं। कांग्रेस विधायक जगत सिहं नेगी ने सवाल किया कि राज्य के आर्थिक तंगी से जुझने के बावजूद प्रदेश की सरकार निगमों व बोर्डों में अध्यक्षों-उपाध्यक्षों की फौज नियुक्त कर रही है। इस पर मंत्री ने कहा कि निगमों व बोर्डों में अध्यक्षों-उपाध्यक्ष की नियुक्तियां की जाती हैं और हर सरकार की यह राजनीतिक मजबूरी रहती हैं पूर्व की कांग्रेस सरकार में छह निगमों व बोर्डों में अध्यक्ष-उपाध्यक्ष लगाए गए थे। वहीं वर्तमान सरकार ने 5 निगमों-बोर्डों में अध्यक्ष-उपाध्यक्ष नियुक्त किए हैं। उन्होंने कहा कि कोविड काल में विधायकों व मंत्रियों की तर्ज पर निगमों व बोर्डों के अध्यक्षों-उपाध्यक्षों के वेतन में भी 30 फीसदी की कटौती हुई है। हिन्दुस्थान समाचार/उज्जवल/सुनील

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