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एफआरबीएम संशोधन विधेयक हिमाचल विधानसभा में पारित, विपक्ष ने किया वाकआउट

शिमला, 18 मार्च (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश सरकार ने गुरुवार को हिमाचल प्रदेश राजकोषीय उत्तरादित्व और बजट प्रबंध (एफआरबीएम) संशोधन विधेयक 2021 पारित कर दिया है। विपक्षी दल कांग्रेस और माकपा ने इस कानून का विरोध किया और दोनों ही दलों के विधायकों ने सदन से इस बिल को पारित करने के विरोध में सदन से वाकआउट किया। वहीं, दूसरी ओर सरकार ने सफाई दी कि एफआरबीएम में संशोधन मौजूदा सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2019-20 और वर्ष 2012 से 2015 के बीच तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा जीडीपी के तीन फीसदी की सीमा से अधिक लिए गए कर्ज को नियमित करने के लिए किया गया है और भविष्य में प्रदेश की ऋण लेने की सीमा तीन फीसदी से बढ़ाकर पांच फीसदी करने का इस कानून में कोई प्रावधान नहीं है। सरकार की दलील है कि यह संशोधन सिर्फ वन टाइम है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की गैर मौजूदगी में शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि एफआरबीएम में संशोधन केवल टेक्नीकल है। उन्होंने कहा कि पूर्व कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2012 से वर्ष 2015 के बीच ऋण लेने की तय सीमा का उल्लंघन किया, जबकि वर्ष 2019-20 में जीएसटी की वसूली की कमी के चलते हिमाचल ही नहीं देशभर के राज्यों को ऋण लेने की सीमा केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार बढ़ानी पड़ी है। इस बढ़ी हुई सीमा को नियमित करने के लिए कानून में यह संशोधन किया गया है। विपक्ष के विरोध पर कड़े तेवर अपनाते हुए सुरेश भारद्वाज ने कहा कि एफआरबीएम एक्ट में संशोधन पूर्व कांग्रेस सरकार की गल्तियों को ठीक करने को किया गया है। उन्होंने कहा कि एफआरबीएम में संशोधन एकमुश्त है और इसका भविष्य में प्रदेश की ऋण लेने की सीमा को बढ़ाने से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व कांग्रेस सरकार ने न केवल एफआरबीएम एक्ट का उल्लंघन किया, बल्कि इसे दुरूस्त करने की भी जरूरत नहीं समझी। कांग्रेस के विरोध को राजनीतिक करार देते हुए सुरेश भारद्वाज ने कहा कि पड़ोसी राज्य पंजाब, जहां कांग्रेस की सरकार है, वहां भी 2019-20 के दौरान कर्ज लेने की सीमा को बढ़ाने के लिए एफआरबीएम एक्ट में संशोधन किया गया है। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार इस बिल को पास कर पाप कर रही है और कांग्रेस इस पाप की भागीदार नहीं बनेगी। उन्होंने कहा कि आज के दिन को प्रदेश के इतिहास में काले दिन के रूप में जाना जाएगा। उन्होंने सरकार से इस बिल को वापस लेने और पुनर्विचार के लिए सेलेक्ट कमेटी को भेजने की सलाह दी। अग्निहोत्री ने यह भी कहा कि जीएसटी की वसूली में कमी के कारण प्रदेश को हो रहे राजस्व के नुकसान की भरपाई के लिए प्रदेश सरकार को मंत्रिमंडल और विपक्ष को साथ लेकर प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और वित्त राज्य मंत्री से दिल्ली में जाकर विशेष आर्थिक पैकेज की मांग करनी चाहिए, ताकि राज्य को कर्ज के और बोझ तले दबने से बचाया जा सके। हिन्दुस्थान समाचार/उज्ज्वल/सुनील

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