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गिलोय को राष्ट्रीय औषधि घोषित करने की मांग, तुलसी से भी ज्यादा फायदेमद

शिमला, 19 जून (हि.स.)। कोरोना काल में संक्रमण का मजबूती से सामना करने वाली गिलोय राष्ट्रीय औषधि घोषित होनी चाहिए। गिलोय का काड़ा कोरोना मरीजों के लिए भी काफी ज्यादा लाभदायक है। यह बात शनिवार को शिमला में आयोजित प्रैस वार्ता के दौरान निदेश जन सचिवालय ग्राम संसद कादीपुर दिल्ली के हरपाल सिंह राणा ने कही। उन्होंने कहा कि गिलोय को राज्य और राष्ट्रीय औषधि घोषित कराने के लिए कई वर्षों से प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें सकारात्मक प्रगति हो रही है। इसके लिए हिमाचल प्रदेश के मुखयमंत्री जयराम ठाकुर, स्वास्थ्य मंत्री डा. राजीव सैजल सहित महापौर व उपमहापौर से मिलकर एक ज्ञापन भी सौंपा गया है। ज्ञापन के माध्यम से यह आग्रह किया गया है कि गिलोय को राज्य औषधि घोषित कराने के लिए इसका प्रचार प्रसार कर नागरिकों को जागरूक किया जाए। शिमला के आसपास 15 के करीब स्थानों में गिलोय बांटी गई। हरपाल सिंह राणा का कहना है कि जिस प्रकार से राष्ट्रीय पक्षी मोर, राष्ट्रीय पुष्प कमल आदि राज्यों और राष्ट्रीय महत्व के प्रतीक हैं, उसी प्रकार से राज्य औषधि गिलोय को बनाए जाने की आवश्यकता है। गिलोय औषधि कोरोना बीमारी सहित 100 से अधिक अलग अलग बीमारियों में लाभदायक है। इसे आयुर्वेदिक होमयोपैथिक और प्राकृतिक चिकित्सा के रूप में उपयोग किया जाता है। जिसको राष्ट्रीय औषधि घोषित करने के साथ साथ कोरोना काल में इसका प्रचार प्रसार करना बहुत ही लाभदायक हो सकता है। अपने खास गुणों की वजह से गिलोय को आयुर्वेदिक में गुणुची और अमृता भी कहा जाता है, जिससे बुखार, डायबटीज, एलर्जी और अस्थमा आदि अनेकों बीमारियों का इलाज किया जाता है। गिलोय तुलसी से भी ज्यादा फायदेमद है। हिन्दुस्थान समाचार/उज्ज्वल/सुनील

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