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एनएसयूआई की मांग, बर्खास्त हों हिमाचल विश्वविद्यालय के वीसी और डीएस

शिमला, 03 फरवरी (हि.स.)। छात्र संगठन एनएसयूआई ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की पीजी एड्मिशन में प्रवेश परीक्षा की जगह सीधे मेरिट के आधार पर दाखिले के विवि के कदम की आलोचना की है। एनएसयूआई का कहना है कि हिमाचल हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी विश्वविद्यालय प्रशासन को गलत ठहराया है। एनएसयूआई ने इस फैसले के लिए विवि के वीसी और डीएस को जिम्मेदार बतलाते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है। एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष छत्तर ठाकुर ने बुधवार को आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि अब जब सर्वोच्च न्यायालय ने भी याचिका को खारिज कर इस प्रक्रिया को गैरकानूनी ठहरा दिया है तो सरकार तत्काल गैरकानूनी काम करने वाले भ्रष्ट वीसी और डीएस को बर्खास्त करें। गैरकानूनी अधिकारियों और लोगों को विश्वविद्यालय जैसे शिक्षा के मंदिर में बैठाए रखना प्रदेश सरकार के लिए कहाँ तक उचित है। छत्तर ठाकुर ने सीधे तौर पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या भाजपा सरकार के पास प्रदेश की इकलौती स्टेट यूनिवर्सिटी के कुलपति पद के लिए भ्रष्ट लोगों के अलावा अन्य कोई काबिल व्यक्ति उपलब्ध नहीं है, जो इतने बड़े कारनामें के बाद भी इन लोगों को बैठाए रखा है। उन्होंने एचपीयू शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में धांधलियों के चलते इसकी न्यायिक जांच करने की भी मांग की है। कहा कि न्यायिक जांच की मांग को लेकर वह उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भी लिख चुके हैं। छत्तर ठाकुर ने कहा कि अगर सरकार भ्रष्ट वीसी और डीएस की बर्खास्तगी और भर्ती मामले में न्यायिक जांच नहीं करवाती है तो ऐसे में एनएसयूआई प्रदेशभर के छात्रों को लामबद्ध करके एक बड़ा आंदोलन शुरू कर देगी। हिन्दुस्थान समाचार/उज्ज्वल/सुनील-hindusthansamachar.in

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