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किस्सा कुर्सी का: मंडी नगर निगम मेयर की बाजी अब नए वार्डों के हाथ ,दिगजों के सपने हुए चकनाचूर

मंडी, 14 मार्च (हि. स.)। काफी विरोध के बाद ग्रामीण क्षेत्रों को शामिल कर बनाए गए मंडी नगर निगम में मेयर पद की बाजी अब निगम में शामिल नए वार्डों के हाथ लगने वाली है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मुख्यालय के इस नए नवेले नगर निगम मेयर पद के दावेदारों के सपने आरक्षण के चलते टूट गए हैं। नगर निगम के गठन और वार्डों के परिसिमन में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले दिगजों के मंसूबों पर अब पूरी तरह से पानी फिर गया है। उन पर आरक्षण की मार ऐसी पड़ी है कि वे कई सालों तक मेयर पद की दौड़ में पिछड़ गए हैं। 32535 मतदाताओं वाले मंडी नगर निगम के पंद्रह में से चार दौंधी, बैहना, सन्याहरड एससी और सुहड़ा वार्ड एससी महिला के लिए आरक्षित हैं। जबकि मेयर पद के दस साल के रोस्टर में पहले ढाई साल एससी के लिए दूसरे ढाई साल एसटी, उसी प्रकार पांच साल बाद पहले ढाई साल सामान्य और दूसरे ढाई साल महिला केलिए आरक्षित होगा। पार्टी के चुनाव चिन्ह पर होने वाले नगर निगम के इन चुनावों में आरक्षण के चक्रव्यूह में फंस कर पुराने योद्धा धराशायी हो चुके हैं। नगर निकाय की सियासत के बड़े-बड़े दिगज वार्डों के गठन और आरक्षण के चलते पहले ही बाहर हो चुके हैं। अब रही सही कसर मेयर पद के आरक्षण ने पूरी कर दी है। भाजपा और कांग्रेस के कई कदावर उम्मीदवार जो मेयर पद के सशक्त दावेदार माने जा रहे थे, और चुनाव जीतने के बाद जोड़तोड़ के सपने देख रहे थे। मगर अब उनके सपने चकनाचूर हो गए हैं। नगर निगम के रोस्टर के मुताबिक मंडी नगर का पहला मेयर अनुसूचित जाति वार्ड से जीता हुआ उम्मीदवार बनेगा। यहां रोचक पहलु यह भी है कि नगर निगम के पंद्रह वार्डो में से जो चार वार्ड अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं, उनमें से तीन वार्ड ग्रामीण क्षेत्रों से हैं। बैहना, दौहंदी और सन्याहरड तीनों ही पहले पंचायतें थी और नगर निगम में शामिल किए जाने के विरोधी स्वर यहां से बराबर उठते रहे हैं। यह भी रोचक पहलु है कि मुख्यमंत्री ने हाल ही में ऐलान किया है कि अब आने वाले समय में नगर निगम केलिए 2011 की जनगणना को नहीं बल्कि 2021 में होने वाली जनगणना को आधार माना जाएगा। उन्होंने यह भी कहा है कि अगर ग्रामीण क्षेत्र उस समय वापस पंचायतों में शामिल होना चाहें तो उन्हें वापस कर दिया जाएगा। क्योंकि नई जनगणना के मुताबिक शहरी क्षेत्रों में ही नगर निगम केलिए वांछित आबादी का आंकड़ा पूरा हो जाएगा। संभव है बैहना और दौहंदी जो बल्ह विधानसभा क्षेत्र से मंडी नगर निगम में शामिल किए गए हैं, दोबारा पंचायत बन सकती हैं। मगर इससे पूर्व इन दोनों वार्डों से निगर निगम के पहले मेयर केलिए कोई नया चेहरा उभर सकता है...या फिर सन्याहरड व सुहड़ा वार्ड से भी मंडी नगर निगम को नया मेयर मिल सकता या सकती है। यह सब भविष्य के गर्भ में हैं, लेकिन कुर्सी का यह खेल रोचक मोड़ पर खड़ा हो गया है। हिन्दुस्थान समाचार/मुरारी/सुनील

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