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मार्केट फीस पर वसूलने पर भड़के व्यापारी, सरकार को दी उग्र आंदोलन की चेतावनी

ऊना, 04 अप्रैल(हि.स.)। हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य में मार्केट फीस एक्ट 2005 को तुरंत प्रभाव से रद्द करे ताकि प्रदेश के व्यापारियों को राहत मिल सके। अगर सरकार जल्द ही इस काले कानून को रद्द नही करती है तो हिमाचल प्रदेश व्यापार मंडल को उग्र आंदोलन के लिए विवश होना पड़ेगा। यह बात हिमाचल प्रदेश व्यापार मंडल की रविवार को ऊना में हुई प्रदेश स्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए प्रदेशाध्यक्ष सुमेश कुमार शर्मा ने कही। सुमेश शर्मा ने कहा कि मार्केट फीस एक्ट का सीधा संबंध केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नये कृषि कानूनों के साथ है। जब केंद्र सरकार ने ये तीनों कृषि बिल पास किए थे तो मार्केट फीस अपने आप ही बंद हो गई थी। लेकिन किसानों के विरोध स्वरूप माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इन बिलों को कुछ समय के लिए होल्ड करने के आदेश जारी किए हैं। जिसके कारण हिमाचल प्रदेश में सरकार ने फिर से व्यापारियों से मार्केट फीस वसूलना शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि माननीय अदालत ने तीनों कृषि बिल लागू करने का फैसला होल्ड रखा है न कि तीनों बिलों को रद्द कर दिया है। इसलिए प्रदेश सरकार को राज्य में मार्केट फीस एक्ट 2005 को लागू नही करना चाहिए। सुमेश शर्मा ने कहा कि इस एक्ट के लागू होने से व्यापारियों पर 133 विभिन्न आईटमो पर एक से लेकर पांच फीसदी तक मार्केट फीस भरनी पड़ेगी। वहीं इसका रिकॉर्ड रखने के लिए मुनीमों व अकाउटैंट का खर्चा अलग से है। जिससे व्यापारी आर्थिक बोझ के तले दब जाएगा। उन्होंने कहा कि कानून तो मार्केट फीस ट्रेडिंग उत्पादों पर लग ही नही सकती। मार्केट फीस तो केवल अनाज मंडी, सब्जी मंडी इत्यादि पर लग सकती है। लेकिन सरकार ने मार्केट फीस लगाकर पूरे प्रदेश को ही एक मंडी घोषित कर दिया है। इसलिए व्यापार मंडल सरकार से ये मांग करता है कि इस मार्केट फीस एक्ट को तुरंत प्रभाव से रद्द करके व्यापारियों को राहत प्रदान की जाए। इसके अलावा सरकार हिमाचल व्यापार मंडल द्वारा सुझाए गए प्रस्तावों को व्यापारी कल्याण बोर्ड में शामिल करे। हिन्दुस्थान समाचार/विकास/सुनील

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