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सिरमौर में एक ऐसा स्कुल जहाँ अध्यापक बच्चों को ला रहे घरों से स्‍कूल

नाहन, 08 अप्रैल (हि. स.)। सरकारें शिक्षा को लेकर अनेक सुविधाएं प्रदान कर रही हैं ताकि साक्षरता के साथ समाज का उत्थान हो सके। ग्रामीण स्तर पर स्कूलों को खोला गया है। वहां स्टॉफ की तैनाती की गयी है। मगर अभी भी कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जो शिक्षा से जुड़ने में ढुलमुल रवैये से चल रहे हैं। ऐसा ही एक हाई स्कुल है सिरमौर जिला में नौरंगाबाद। इस ग्राम में अधिकतर आबादी गुज्जर समुदाय की है। यह स्कुल पोंटा साहेब और नाहन की सीमा पर स्तिथ है। यहाँ पर पहले प्राथमिक स्कुल होता था और अब यहाँ हाई स्कुल है। स्कुल में ये लोग पढ़ने को ही तैयार नहीं हैं और शिक्षा के प्रति गंभीर नहीं पड़ते। लेकिन स्कुल के प्रधानाचार्य एवं स्टॉफ ने एक पहल की और घरों से उन बच्चों को खुद लाना शुरू किया जो स्कुल नहीं आ रहे थे। हालत तो यह थी की परीक्षा के लिए भी अध्यापक खुद घरों में जाकर बच्चों को स्कुल ला रहे हैं। अध्यापकों के ये प्रयास रंग लाने लगे हैं और बच्चे खुद भी स्कुल में आने लगे हैं और उनके अभिभावक भी अब शिक्षा में रूचि दिखाने लगे हैं। अध्यापकों के लिए यह काम आसान नहीं था। उन्होंने अनेकों बार एस एम सी, व्यक्तिगत रूप में अभिभावकों को शिक्षा बारे समझाना पड़ा और तब कुछ हालत बदलने लगे हैं और अब स्कुल में छात्रों की संख्या बढ़ने लगी है। स्कुल के प्रधानाचार्य संजीव अत्री के अनुसार पहले समस्या बहुत गंभीर थी। स्कुल में बच्चे आते नहीं थे। घरों से बुलाने का उनका प्रयोग सार्थक सिद्ध हुआ और अब बच्चे, अभिभावक स्कुल में रूचि ले रहे हैं। अभी भी कई बार बच्चों को घरों से लाना पड़ता है। स्कुल में पढ़ाई के साथ साथ जुडो जैसे खेल,स्कॉउट्स आदि को भी शुरू किया गया है ताकि बच्चों में रूचि जग सके। स्कुल प्रधानाचार्य संजीव अत्री ने बताया कि वो जब स्कुल में आये थे तो बच्चे स्कुल में नाममात्र के थे और जो थे वो आते नहीं थे। फिर सभी शिक्षकों ने घरों में जाकर अभिभावकों को समझाना शुरू किया और बच्चों को लाना शुरू किया। धीरे धीरे अब इनमे शिक्षा के प्रति लगाव बढ़ रहा है और स्कुल में बच्चे बढ़ रहे हैं। परीक्षा में भी बच्चे बुलाने पड़ते थे अब कुछ सुधार हो रहा है। अध्यापक सुशील शर्मा ने बतायाकि पिछड़ा क्षेत्र होने के कारण इनमे शिक्षा से कुछ भी लगाव नहीं था लेकिन सभी शिक्षकों ने प्रयास किया। घरों से कई बार बच्चे बुलाकर लाये। अध्यापिका विन्नी वर्मा ने बताया कि स्कुल में बच्चे बहुत कम होते थे। कुछ तो कभी कभार ही आते थे। मगर सभी के सामूहिक प्रयासों से आज ये लोग शिक्षा के महत्व को समझने लगे हैं। अभिभावक रौशनी ने बताया कि अब उनके बच्चे रोजाना स्कुल जा रहे हैं और पढ़ना लिखना सिखने लगे हैं। अभिभावक बीरो ने कहा कि पहले कम बच्चे स्कुल जा रहे थे लेकिन अब सभी लोग बच्चों को स्कुल भेजने लगे हैं बच्चों ने बताया कि उन्हें स्कुल में अच्छा लगता है और वो लोग दिललगाकर पढ़ाई करते हैं और अध्यापक उनका बहुत ध्यान भी रखते हैं। उल्लेखनीय हैकि नौरंगाबाद में शिक्षकों के अनूठे प्रयास से अब हालत बदलने लगे हैं और शिक्षा का प्रकाश अब यहाँ नौरंगाबाद में भी फैलने लगा है। यह एक उदाहरण भी है अन्यों के लिए कि कर्तव्य को हमेशा ईमानदारी से किया जाय तो परिणाम भी अच्छे ही आते हैं। जन सहयोग से मुश्किल कार्य भी सुगम हो जाते हैं जैसा की यहाँ नौरंगाबाद स्कुल में हो रहा है। हिन्दुस्थान समाचार /जितेंदर/सुनील

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